योग करने से शरीर फिट और स्वस्थ्य रहता है। योग न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, बल्कि इससे मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहता है। इसे नियमित तौर पर करने से शरीर में होने वाली अकड़न से आराम मिलता है। इसलिए पूरी तरह स्वस्थ बने रहने के लिए योगासन बेहद जरूरी हैं। इनकी मदद से कई बीमारियों से न सिर्फ बचाव ही किया जा सकता है, बल्कि इन्हें दूर भी किया जा सकता है।
चक्की चालन
इसे करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों पैरों को पूरी तरह फैलाकर बैठ जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों को पकड़ते हुए बाजुओं को कंधों की सीध में अपने सामने की ओर रखें। अब लंबी गहरी सांस लें और शरीर के ऊपरी हिस्से को आगे लाएं। एक काल्पनिक घेरा बनाएं। इसे करने से कई तरह के लाभ होते हैं। यह सियाटिका रोकने में फायदेमंद है। साथ ही पीठ,उदर और बाजुओं की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
कौवा चालन
इसे करने के लिए नीचे उकड़ू की स्थिति में बैठ जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख लें। सामान्य श्वास लेते हुए योगा मैट के चारों ओर चलें। इसे करने से कई तरह के लाभ होते हैं। यह आसन पैरों की मांसपेशियों को फैलाता है। साथ ही यह शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है। डाइजेशन के लिए बहुत अच्छा है। कमर दर्द , पेरों की क्षमता बढ़ाने वाले योगासन कराए हैं।
गौमुख आसन
जांघों, कुल्हों, ऊपरी पीठ, ऊपरी बांह और कंधों के मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है गोमुखासन। विश्राम करने के लिए भी ये आसन उपयोगी है। इसे 10 मिनट या ज़्यादा करने से थकान, तनाव और चिंता को कम कर सकते हैं। ये पैर में ऐंठन को कम करता है और पैर की मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है।
मंडूक आसन
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले दंडासन में बैठते हुए वज्रासन में जाएं। अब अपने दोनों हाथों की मुठ्ठी बंद कर लें। मुठ्ठी बंद करते समय अंगूठे को अंगुलियों से अंदर दबाइए। फिर दोनों मुठ्ठियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर सांस बाहर निकालते हुए अपनी ठोड़ी को जमीन पर टिकाएं।
मंडूक आसन के फायदे
यह योगासन पेट के लिए अत्यंत ही लाभदायक है। डायबिटीज के रोगियों को इससे लाभ मिलता है। यह आसन उदर और दिल की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम
सबसे पहले पालथी मार कर सुखासन में बैठें। इसके बाद दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बाई नासिका से सांस अंदर लें लीजिए। अब अनामिका उंगली से बाई नासिका को बंद कर दें। इसके बाद दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें। अब दाहिने नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बाई नासिका से सांस बाहर छोड़ दें।