अयोध्या। अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण में सबसे अहम भूमिका निभाने वाली राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य हैं जिनमें संत, धर्मगुरु, नौकरशाह और विधि के क्षेत्र के लोग शामिल हैं। इन सभी लोगों पर राम मंदिर के निर्माण के काम को पूरा कराने की जिम्मेदारी है। इनमें महंत नृत्य गोपाल दास, चंपत राय, नृपेंद्र मिश्र, विमलेंद्र ऐसे कई नाम हैं जिनके बारे में जानना बहुत जरूरी है।
– महंत नृत्य गोपाल दास राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। ये पीएम नरेंद्र मोदी के करीबियों में से एक हैं। उन्हें बाबरी विध्वंस का आरोपी मानकर लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में उनके खिलाफ मुकदमा चल रहा है।
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– विश्व हिंदू परिषद से जुड़े रहे चंपत राय को राम मंदिर ट्रस्ट का महासचिव बनाया गया है। भूमि पूजन समारोह की सभी तैयारियों की जानकारी मीडिया को समय-समय पर चंपत राय के माध्यम से ही दी जाती है। इन्होंने ही बताया था कि आखिर एलके आडवाणी और कल्याण सिंह समारोह का न्यौता क्यों नहीं दिया गया।
– किसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रहे वरिष्ठ आईएएस अफसर नृपेंद्र मंदिर ने नौकरी के बाद ट्रस्ट का कामकाज संभाला। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर चुके नृपेंद्र को प्रशासनिक सेवाओं का काफी अनुभव है।
– वरिष्ठ वकील के. पराशरण ने सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस में हिंदुओं की पैरवी की। भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल रह चुके पराशरण को पद्म पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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– विमलेंद्र मोहन प्रताप सिंह आज भी लोगों के बीच राजा कहे जाते हैं और वह अयोध्या रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य भी हैं। विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र 2009 में फैजाबाद संसदीय सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं।-पेशे से होम्योपैथी के डॉक्टर अनिल कुमार मिश्र राम मंदिर आंदोलन के दौरान विनय कटियार के साथ जुड़े थे। इस समय वह आरएसएस के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह हैं। वह उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार पद पर भी कार्यरत हैं।
– राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में पक्षकार रहे निर्मोही अखाड़ा की अयोध्या बैठक के चीफ महंत दिनेंद्र दास को भी ट्रस्ट में भी हैं। वह निर्मोही अखाड़ा के महंत हैं। अयोध्या जिले के मयाबाजार के पास मठिया सरैया गांव के मूलनिवासी हैं। 10 साल की उम्र में ही इनको मठिया के आश्रम का महंत बना दिया गया था।
– कामेश्वर चौपाल : राम मंदिर ट्रस्ट में एक दलित सदस्य के रूप में कामेश्वर चौपाल को भी जगह मिली है। 1989 के राम मंदिर आंदोलन के समय हुए शिलान्यास में कामेश्वर ने ही राम मंदिर की पहली ईंट रखी थी। 1991 में वह राम विलास पासवान के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं। आरएसएस ने उन्हें पहले कारसेवक का भी दर्जा दिया है।