भारतीय किसान यूनियन टिकैत के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत कृषि बिल के विरोध में ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर 10 दिन पूर्व आत्महत्या करने वाले बिलासपुर तहसील के पसियापुरा गांव निवासी बुज़ुर्ग किसान कश्मीरी सिंह के अंतिम अरदास में शामिल होने रामपुर पहुँचे। जहाँ जिलाध्यक्ष हसीब अहमद के साथ भाकियू दफ्तर पर किसानों को आंदोलन को लेकर सम्बोधित किया और यहाँ से बिलासपुर पहुँचकर गुरुद्वारे में अरदास में शामिल हुए।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के सरकार से बिल पर रोक लगाने या ख़ुद संज्ञान लेने के फैसले पर कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने इसका संज्ञान लिया और किसानों का पक्ष वहां पर रखा। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पहली सुनवाई में भी कहा था कि सरकार किसानों के साथ बैठ कर बातचीत करें। इसमें जो लीगल पहलू होंगे इसमें कमेटी बनी हुई है और इस मामले को कमेटी देखेगी क्योंकि जो इसमें हमारे एडवोकेटस हैं वो इसमें लीगल पहलू क्या है वह देख रहे हैं। और हम धन्यवाद करते हैं सुप्रीम कोर्ट का इसका उन्होंने संज्ञान लिया है।
सुप्रीम कोर्ट के स्टे की बात पर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने इसका संज्ञान लिया और किसानों का पक्ष वहां पर रखा और सुप्रीम कोर्ट ने पहली सुनवाई में भी कहा था कि सरकार किसानों के साथ बैठ कर बातचीत करें। इसमें जो लीगल पहलू होंगे उसमें कमेटी बनी हुई है वो सब इसमें कमेटी देखेगी क्योंकि जो इसमें हमारे एडवोकेट हैं वो लीगल पहलू क्या है वह देख रहे हैं और धन्यवाद करते हैं सुप्रीम कोर्ट का इसका उन्होंने संज्ञान लिया है। कहा 22 दिन सरकार को ढूंढ कर गए सुप्रीम कोर्ट को सरकार तो भाग गई थी और 22 दिन बाद वापस बात कह रही थी।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसानों से बातचीत करो और मामले को सॉल्व करो। धन्यवाद सुप्रीम कोर्ट का। सरकार कानून वापस लेगी सुप्रीम कोर्ट को तो बहुत काम है वहां। कानून उन्होंने बनाया है गलती उन्होंने की है उन्हें ही सुधारने दो। फैसला सरकार को लेना है सरकार ने ही कानून बनाए हैं और सरकार ही कानून वापस लेगी और जो भी कोई निर्णय लेना होगा वह लीगल एडवाइजर है हमारे वहां पर वह जवाब देंगे।
इसके साथ ही रामपुर आने पर कहा झंडे की तैयारी रखो सब के हाथ में तिरंगा रहेगा किसान झण्डा फहरायेंगे तभी तो पता चलेगा सर्टिफिकेट मिलेगा कौन यहां का है कौन अफगानिस्तान का है पता नहीं कौन कौन से देश के नाम लेते हैं। बड़े उस्ताद हैं बीजेपी वाले।
सरकार के आंदोलन में शामिल किसानों को किसान नहीं मानने पर कहा कि हम व्यापारी है तो बताओ दुकान कहाँ है, हम कुछ तो हैं वह बताएं हम व्यापारी हैं या कन्ज़्यूमर हैं तो हमें महंगा सामान क्यों मिल रहा है। अबकी सरकार से बात होगी तो ज़रूर करेंगे हम क्या है अगर हम कन्ज़्यूमर हैं तो हम इतना महंगा क्यों खरीद रहे हैं किसानों से 2 रुपए किलो और हमसे 20 रुपया किलो अंतर कहाँ जा रहा है हमें सरकार बताये हम हैं क्या यह इस बार पूछेंगे।