लाइफ़स्टाइल डेस्क। गांव-देहात की अपनी खूबसूरती होती है। हालांकि देहाती जिंदगी, शहरी रहन-सहन के मुकाबले में नहीं टिकती क्योंकि वहां शहरों जैसी सुख सुविधाएं नहीं होतीं। इसीलिए लोग गांव छोड़ शहरों की ओर भागते हैं। लेकिन आज हम आपको दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका के ऐसे गांव की सैर पर ले चलेंगे, जो जमीन की सतह से तीन हजार फुट नीचे आबाद है।
अमेरिका की मशहूर ग्रैंड कैनियन को देखने के लिए दुनिया भर से करीब 55 लाख लोग एरिजोना जाते हैं। मगर इसी में से एक गहरी खाई हवासू कैनियन के पास ‘सुपाई’ नाम का एक बहुत पुराना गांव बसा है। यहां की कुल आबादी 208 है। ये गांव जमीन की सतह पर नहीं बल्कि ग्रैंड कैनियन के भीतर करीब तीन हजार फ़ुट की गहराई पर बसा है।
पूरे अमेरिका में ये इकलौता ऐसा गांव है, जहां आज भी खतों को लाने और ले जाने में लंबा वक्त लगता है। मिर्जा गालिब के दौर की तरह यहां आज भी लोगों के खत खच्चर पर लाद कर गांव तक लाए और ले जाए जाते हैं। खत ले जाने के लिए खच्चर गाड़ी का इस्तेमाल कब शुरू हुआ, यकीनी तौर पर कहना मुश्किल है। खच्चर गाड़ी पर यूनाइटेड स्टेट पोस्टल सर्विस की मोहर रहती है।
सुपाई गांव के तार आज तक शहर की सड़कों से नहीं जुड़ पाए हैं। यहां तक पहुंचने का रास्ता बहुत ऊबड़-खाबड़ है। गांव की सबसे नजदीकी सड़क भी करीब आठ मील दूर है। यहां तक पहुंचने के लिए या तो हेलिकॉप्टर की मदद ली जाती है या फिर खच्चर की। अगर हिम्मत हो तो पैदल चल कर भी यहां पहुंचा जा सकता है। सुपाई गांव में ग्रैंड कैनियन के गहरे राज छिपे हैं। ये गांव चारों ओर से बड़ी और ऊंची चोटियों से घिरा है। करीब पांच आबशार गांव की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। गहरी खाई में छुपा ये गांव करीब एक हजार साल से आबाद है। यहां पर अमेरिका के मूल निवासी रेड इंडियन रहते हैं।
गांव में रहने वाली जनजाति का नामकरण गांव की खूबसूरती की बुनियाद पर हुआ है। हवासुपाई का अर्थ है नीले और हरे पानी वाले लोग। यहां के लोग गांव के पानी को पवित्र मानते हैं। मान्यता है कि यहां निकलने वाले फिरोजी पानी से ही इस जनजाति का जन्म हुआ है। गांव तक पहुंचने के लिए खारदार झाड़ियों के बीच से, भूल-भुलैया जैसी खाइयों से होकर गुजरना पड़ता है। ऐसे ऊबड़-खाबड़ रास्ते से गुजरते हुए ये अहसास भी नहीं होता कि आगे स्वर्ग जैसी जगह का दीदार होने वाला है। सामने ही आपको एक बड़ा-सा बोर्ड नजर आएगा जिस पर लिखा होगा ‘सुपाई में आपका स्वागत है’।
गांव पूरी तरह ट्रैफिक के शोर से आजाद है। खच्चर और घोड़े गांव की गलियों और पगडंडियों पर नजर आ जाएंगे। इस गांव में भले ही शहरों जैसी सुविधाएं नहीं हैं, लेकिन एक तसल्लीबख्श जिंदगी गुजारने वाली तमाम सहूलते हैं। यहां पोस्ट ऑफिस है, कैफे हैं, दो चर्च हैं, लॉज हैं, प्राइमरी स्कूल हैं, किराने की दुकानें हैं। यहां के लोग आज भी हवासुपाई भाषा बोलते हैं, सेम की फली और मकई की खेती करते हैं। रोजगार के लिए लच्छेदार टोकरियां बुनते हैं और शहरों में बेचते हैं। टोकरियां बनाना यहां का पारंपरिक व्यवसाय है।
गांव से शहर को जोड़ने का काम खच्चर गाड़ियों से होता है। गांववालों की जरूरत का सामान इन खच्चर गाड़ियों पर लाद कर यहां लाया जाता है। कई सदियों से लोग इस अजीबो-गरीब गांव को देखने आते रहे हैं। बीसवीं सदी तक इस गांव के लोगों ने बाहरी लोगों के आने पर रोक लगा रखी थी, लेकिन आमदनी बढ़ाने के लिए उन्होंने करीब सौ साल पहले अपने गांव के दरवाजे बाहरी दुनिया के लिए खोल दिए।