नीदरलैंड। दुनिया में कई जासूस हुए हैं, जिन्होंने अपनी देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। इन जासूसों के दम पर उनके देश ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की। जासूसी का बात होती है तो आमतौर पर पुरूषों का नाम ही आगे आता है, लेकिन जासूसी की दुनिया में महिलाएं भी आगे रही हैं और वह सफल भी हुई है।
इन्हीं महिला जासूसों में से एक हैं माता हारी। जिनकी जानकारियों के दम पर जर्मनी ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस के 50 हजार से अधिक सैनिकों को मारा था।
मार्गरेट गीर्तोईदा जेले उर्फ माता हारी जासूसी की दुनिया का सबसे मशहूर नाम है। 7 अगस्त 1876 को नीदरलैंड में पैदा हुईं। माता हरी को जर्मनी के लिए जासूसी करने के आरोप में मारा गया। लेकिन, सच तो यह है कि दुनिया कभी जान ही नहीं पाई कि वो फ्रेंच जासूस थी, या जर्मन। माता हारी एक एक बेहतरीन डांसर भी थी, जो इसका पेशा था।
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पहले विश्व युद्ध के समय तक वह पेरिस में एक डांसर और स्ट्रिपर के रूप में मशहूर हो गई थीं। उनका कार्यक्रम देखने कई देशों के लोग और सेना के बड़े अधिकारी पहुंचा करते थे। इसी मेलजोल के दौरान गुप्त जानकारियां एक से दूसरे पक्ष को देने का सिलसिला चलने लगा।
पेरिस में उन्होंने अपनी मोहक अदाओं से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था और उनका नाम लोगों की जुबान पर चढ़ गया। इस दौरान माता हारी के कई शीर्षस्थ सैन्य अधिकारियों, राजनेताओं और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों से संबंध रहे, जिनमें जर्मन प्रिंस भी शामिल थे।
पति को तलाक देकर फ्रेंच राजनीतिक की बनी रखैल
माता हरी की शादी नीदरलैंड की शाही सेना के एक अधिकारी से हुई थी, जो इंडोनेशिया में तैनात था। दोनों तत्कालीन डच ईस्ट इंडीज के द्वीप जावा में रह रहे थे। इंडोनेशिया में ही वो एक डांस कंपनी में शामिल हो गईं और अपना नाम बदलकर माता हारी कर लिया।
नीदरलैंड्स लौटने के बाद 1907 में माता हारी ने अपने पति को तलाक दे दिया और पेशेवर डांसर के रूप में पेरिस चली गईं। पेरिस में माता हारी एक साल तक एक फ्रेंच राजनीतिज्ञ की रखैल बनकर रही। इसी दौरान फ्रेंच सरकार ने माता हारी को जासूसी करने के लिए राजी कर लिया।
फ्रेंच सरकार ने प्रथम विश्वयुद्ध के समय माता हारी को हथियार बना कर जर्मन मिलिट्री ऑफिसर्स की कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की थीं। लेकिन, माता हारी की पैसों की भूख बहुत बढ़ चुकी थी। उसने फ्रांस सरकार की भी जानकारी जर्मनी सरकार को देनी शुरू कर दी।
फ्रांसीसी जासूस के तौर पर किया खुद को पेश
सन् 1917 में फ्रांस में माता हारी को अरेस्ट किया गया। इस दौरान माता हरी ने खुद को फ्रांसीसी जासूस के तौर पर पेश किया, लेकिन उनका झूठ पकड़ा गया। फ्रांसीसी सेना ने स्पेन की राजधानी मैड्रिड से जर्मनी की राजधानी बर्लिन भेजे जा रहे उन संदेशों को पकड़ा, जिसमें कहा गया था कि उन्हें एच-21 से सटीक जानकारियां मिल रही हैं।
इसके बाद फ्रांसीसी सेना ने एच-21 की पहचान माता हारी के रूप में की। और उन्हें पेरिस में 13 फरवरी 1917 को उनके होटल रूम से अरेस्ट कर लिया गया। इसके बाद उन्हें 50 हजार लोगों के मौत का जिम्मेदार ठहराया गया और 15 सितंबर, 1917 में गोलियों से भूनकर मौत देने की सजा मिली।
फ्रांसीसी और ब्रिटिश खुफिया तंत्र को शक था कि माता हारी जर्मनी के लिए जासूसी करती हैं
फ्रांसीसी और ब्रिटिश खुफिया तंत्र को शक था कि माता हारी जर्मनी के लिए जासूसी करती हैं, लेकिन उनके पास कोई सबूत नहीं थे। हालांकि, इसके बावजूद उन पर डबल एजेंट होने का आरोप लगाया गया और फ्रांस में फायरिंग स्क्वैड द्वारा गोलियों से भून दिया गया। उनका अंतिम संस्कार करने उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति सामने नहीं आया। माता हारी के जीवनी लेखक रसेल वारेन हाउ ने 1985 में फ्रांसीसी सरकार को यह मानने को राजी कर लिया कि वह निर्दोष थीं।