Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

पितृ पक्ष के दौरान पितरों की तिथि ज्ञात ना हो तो ऐसे करें श्राद्ध

pitru paksha

pitru paksha

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का विशेष महत्व है। पितृ- पक्ष के दौरान हमारे पितृ यानी हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं। पितृ पक्ष पूरे 15 दिन तक चलते हैं पूर्णिमा तिथि से अमावस्या तिथि तक। इस दौरान पूरे-विधान के साथ पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है।

साल 2025 में पितृपक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत 7 सितंबर 2025, रविवार के दिन से हो रही है। इस दिन को बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों की तिथि के अनुसार उनका श्राद्ध किया जाता है।

अक्सर पितरों की तिथि ज्ञात ना होने पर लोगों को श्राद्ध करने में मुश्किल का समाना करना पड़ता है। उस समय पितरों की तिथि के कारण यह समझ में नहीं आता कि उनका श्राद्ध कब और कैसे करें। अगर आपको भी पितरों की मृत्यु की तिथि याद नहीं है तो आप सर्वपितृ अमावस्या के दिन उनके नाम का श्राद्ध और पिंडदान कर सकते हैं।

सर्वपितृ अमावस्या को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। अमावस्या की तिथि वैसे ही पितरों का तर्पण और पिंडदान करने के लिए शुभ होती है। पितृपक्ष (Pitru Paksha) के दौरान सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर आप उन सभी के नाम का श्राद्ध कर सकते हैं जिनकी तिथि आपको मालूम नहीं है। साथ ही सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है, इस दिन सभी पितरों का आभार व्यक्त कर उनका पिंडदान कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही श्राद्ध करने से पितृ दोष समाप्त होता है। श्राद्ध कर्म को पूरे-विधि विधान से श्राद्ध करने से पितरों की कृपा और उनका आशीर्वाद घर परिवार पर बना रहता है।

Exit mobile version