लखनऊ। पिछले दिनों बिजली कर्मचारियों की हड़ताल एवं उसकी वजह से उत्पन्न हुई स्थिति से सफलतापूर्वक जूझने वाले ऊर्जा मंत्री एके शर्मा (AK Sharma) ने इस दरमियान एक और नायाब कार्य किया गया। यह है उन्हें ठीक करने का जिनको लेकर हड़ताल हुई थी।
लेकिन इसके पहले बता दें एके शर्मा (AK Sharma) ने हड़ताल कैसे तोड़ी उसके बारे में…
कर्मचारी संगठनों को विभाजित कर आधे से ज्यादा कर्मचारियों को सरकार के साथ रखना। साथ ही कर्मचारियों के साथ कभी नरम, कभी गर्म भाषा में बात कर एक तरफ अपने परिवार का हिस्सा बताया तो दूसरी तरफ विभागीय और पुलिस की कार्रवाई का डर दिखाकर इस हड़ताल को तोड़ने का प्रयास किया। अंतिम चरण में उन्होंने हड़ताल, अनुशासनहीनता एवं सरकारी संपत्ति का नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के खिलाफ “एस्मा” लगाना “एफआईआर” करना, सस्पेंशन एवं नौकरी से निष्कासन तक की कार्यवाही कर डाली।
उसी के साथ बीते रविवार के दिन कर्मचारी नेताओं को बुला कर चाय पिलाई और हड़ताल खत्म करने का ऐतिहासिक एलान करवा लिया। सबसे बड़ी बात यह कि इस पूरी प्रक्रिया में जो कर्मचारी एवं संगठन पहले से ही साथ थे, उन्होंने तो सराहना की ही, जिन कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई वो भी ऊर्जा मंत्री (AK Sharma) की जय बोलते देखे गए।
लेकिन ऊर्जा मंत्री एके शर्मा (AK Sharma) यहीं रुके नहीं है। उन्होंने कर्मचारी संगठनों, अधिकारियों एवं विद्युतकर्मियों की भावनाओं को कई महीने से अच्छे से पढ़ा है, सुना है और समझा है। और उस पर कई महीने से उचित कार्रवाई करने का भरोसा भी देते रहे हैं। अपनी बातों पर खरे उतरने वाले एके शर्मा (AK Sharma) ने इस दिशा में भी कदम उठाना शुरू कर दिया है।
विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन एम देवराज द्वारा यूपीपीसीएल के निदेशकों की चयन प्रक्रिया जो कुछ महीने पहले की गई थी, उसे ऊर्जा मंत्री ने निरस्त कर दिया है।
यह भी पता चला है, निदेशकों की चयन प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों के बारे में उन्होंने स्वयं विस्तृत छानबीन की और मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री को आग्रह पूर्वक कह कर उन्हें विश्वास में लेते हुए एके शर्मा (AK Sharma) ने तमाम कार्यवाही रद्द कर दी। यह भी पता चला है कि चयन प्रक्रिया की इन अनियमितताओं के लिए दोषी अधिकारियों /कर्मचारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सूत्रों ने बताया कि इस चयन प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं की शिकायत ऊर्जा मंत्री के पास कई महीने पहले पहुंची थी, तभी से इसपर उन्होंने छानबीन शुरू कर दी थी। कई सप्ताह की छानबीन के बाद उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि अनियमितताएं गम्भीर हैं और इस प्रक्रिया को रद करना ही उचित होगा । लोग बताते हैं कि इन अनियमितताओं में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है और उनमें से कुछ को तो अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है।
यह महज संयोग है कि निदेशकों की चयन प्रक्रिया को रद्द करने का यह निर्णय हड़ताल की छाया में आया है। लेकिन विद्युतकर्मी इस बात से खुश हैं कि शीर्ष प्रबंधन को सही राह पर ले जाने की प्रक्रिया अब शुरू हो गयी है। जिसकी वे बार-बार माँग कर रहे थे।
मतलब ये कि बिजली विभाग में चिर प्रतीक्षित सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई है…