गोरखपुर : यदि आप गोरखपुर जा रहे हैं तो गीता प्रेस के लीला चित्र मंदिर घूमना न भूलें। यह एक विचित्र मंदिर है जो आपको पूरी दुनिया में कही भी देखने को नहीं मिलेगा। यहां श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्याय दीवारों पर उकेरे गए हैं। साथ ही सैकड़ो की संख्या में देवी-देवताओं के चित्र एक ही छत के नीचे मौजूद हैं जो और कहीं भी नहीं हैं।
गीता प्रेस के लीला चित्र मंदिर में बीके मित्रा, जगन्नाथ और भगवानदास द्वारा बनाए गए सैकड़ों चित्र सुरक्षित और संरक्षित हैं। लीला चित्र मंदिर की दीवारों पर श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्याय संगमरमर पर लिखे हुए हैं। साथ ही देवी-देवताओं के 700 से अधिक चित्र हैं। इनकी सुंदरता देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है।
चंडीगढ़ : शहर के हर नौ में से एक पुरुष व आठ में से एक महिला को कैंसर की आशंका
इसी तरह जयपुर, मुगल, ओरिएंटल आर्ट की भी पेंटिंग्स हैं। यहां कई चित्र ऐसे हैं जो 200 सालों से भी ज्यादा पुरानी है। वहीं 17वीं शताब्दी की गोविंद गद्दी का चित्र यहां का विशेष आकर्षण है। इसके अलावा यहां दुनिया की 22 भाषाओं में मुद्रित गीता के 1167 विभिन्न संस्करणों का संकलन हैं। इनमें कई हस्तलिखित गीता की सचित्र पुस्तकें शामिल हैं।
रामायण बनाने से पहले गीता प्रेस आए थे रामानंद सागर
रामायण बनाने से पहले रामानंद सागर चार दिनों के लिए गीता प्रेस आए थे। गीता प्रेस में देवी-देवताओं के सैकड़ों चित्र रखे हुए हैं। रामानंद सागर ने बारीकी से उन चित्रों को देखा। चित्रों में देवी-देवताओं के वस्त्र, उनके रंग और आभूषणों के आधार पर ही उन्होंने अपने धारावाहिक के पात्रों राम, लक्ष्मण, सीता, कौशल्या, हनुमान, सुग्रीव आदि के वस्त्र, उनके रंग और आभूषण का चुनाव किया।