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धनतेरस पर खुलता है मां महालक्ष्मी का ये मंदिर

धनतेरस 2020

धनतेरस 2020

02 नवंबर में कुछ ही दिन शेष हैं। दिवाली आने वाली है, ऐसे में हम मां महालक्ष्मी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद खास है। हमारे यहां देवी-देवताओं को बहुत सारे और प्राचीन मंदिर हैं। हर मंदिर की अपनी विशेषता और एक अलग कहानी है। चाहे मंदिर कितना बढ़ा या छोटा वह आस्था का प्रतीक होता है। भक्त यहां पर पूजा अर्चना करते हैं। भगवान को भोग लगातें हैं। वही भोग का प्रसाद भक्तों में वितरित किया जाता है।

आपने अब तक कई प्रकार के व्यंजनों और मिष्ठानों का प्रसाद मंदिरों में मिलते हुए देखा, खाया होगा, लेकिन आपसे यह कहा जाए कि एक मंदिर ऐसा भी हैं जहां पर प्रसाद के रुप में चांदी और सोने के सिक्के और आभूषण मिलते हैं तो शायद आपको यकीन नहीं होगा। लेकिन यह सच है। मां महालक्ष्मी का एक ऐसा मंदिर भी है जहां सोने चांदी के सिक्के प्रसाद से रुप में दिए जाते हैं।

मध्यप्रदेश के रतलाम के माणक में मां महालक्ष्मी का मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में लक्ष्मी जी के साथ धन कोषाध्यक्ष कुबेर की भी पूजा की जाती है। इस मंदिर को कपाट धनतेरस के दिन ही खुलते हैं। धनतेरस के दिन ब्रह्ममुहूर्त के समय यह मंदिर खुलता है और भाई दूज के दिन मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं। धनतेरस के दिन यह मंदिर पूरी तरह से सोने चांदी के गहनों और नोट से सजा हुआ होता है।

धनतेरस के 8 दिन पहले से ही मंदिर की सजावट का काम शुरु कर दिया जाता है। धनतेरस वाले दिन पूरे विधि-विधान के साथ मां महालक्ष्मी की पूजन किया जाता है। मान्यता है कि यहां पर मिलने वाले सिक्को और आभूषणों को घर में ले जाने से धन-धान्य की कमी नहीं रहती है।

रतलाम के इस मंदिर में लोग बहुत सारे आभूषण, नोटों की गड्डियां लेकर आते हैं। इन श्रद्धालुओं को मंदिर के ट्रस्ट की तरफ से टोकन देने के बाद अंदर जाने दिया जाता है। पूजा करने के बाद इन सभी गड्डियों और आभूषणो को मां लक्ष्मी के चरणों में चढ़ा दिया जाता है। उसके बाद वापस जाते समय टोकन के हिसाब से आभूषण आदि श्रद्धालुओं को वापस कर दिए जाते हैं। लोगों का कहना है कि इन आभूषणों से घर में समृद्धि आती है और अगले वर्ष तक धन दोगुना हो जाता है।

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