पौराणिक मान्यता के मुताबिक, शनिदेव (Shani Dev) का भगवान सूर्य का पुत्र और न्याय का देवता माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिदेव (Shani Dev) सभी जातकों को उनके कर्म के अनुसार फल देते हैं। जो व्यक्ति अच्छे काम करता है तो शनिदेव उसका जीवन सुखों से भर देते हैं। ज्योतिष के मुताबिक बुरे काम करने पर शनि देव साढ़ेसाती या ढैय्या के दौरान जातक का जीवन पीड़ादायक बना देते हैं। ऐसे में यदि आप शनि (Shani) की साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित हैं तो पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक इन मंत्रों का जाप रोज कर सकते हैं।
शनि (Shani) महामंत्र
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
शनि (Shani) दोष निवारण मंत्र
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।
शनि (Shani) का पौराणिक मंत्र
ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
शनि (Shani) का वैदिक मंत्र
ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
शनि (Shani) गायत्री मंत्र
ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।
सेहत के लिए शनि (Shani) मंत्र
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
तांत्रिक शनि (Shani) मंत्र
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
अन्य शनि (Shani) मंत्र
ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमंते
टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा।
ऊँ नमो भगवते पंचवदनाय पश्चिमुखाय गरुडानना
मं मं मं मं मं सकल विषहराय स्वाहा।।