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उत्तराखंड में डेढ़ सौ से अधिक वनस्पति प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा

Desk by Desk
12/12/2020
in Main Slider, उत्तराखंड, ख़ास खबर
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देहरादून। वनस्पति प्रजातियां ही जैव विविधता की मूल होती हैं। इनके सुचारु कार्य करने पर ही प्रकृति में संतुलित और समृद्ध जैव विविधता का निर्माण होता है। एक अध्ययन के अनुसार उत्तराखंड में पेड़ पौधों की 4048 प्रजातियां हैं। इनमें 116 प्रजातियां ऐसी हैं जो सिर्फ इसी राज्य में पाई जाती हैं। डेढ़ सौ से अधिक प्रजातियां ऐसी हैं जिनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।

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इन प्रजातियों का पर्यावरण के संतुलन में विशेष योगदान होता है और इनसे स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होता है।
विश्व में जैव विविधता के 36 मुख्य हॉटस्पॉट हैं। इनमें से भारत का हिमालयी क्षेत्र भी एक है। बढ़ती जनसंख्या, प्रकृति में मानवीय हस्तक्षेप और बढ़ता प्रदूषण जैव विविधता के समाप्त होने के मुख्य कारक है। जैव प्रौद्योगिकी परिषद के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. मणिन्द्र मोहन शर्मा ने बताया कि पृथ्वी पर परंपरागत दवाइयां और भोजन पौधों से ही प्राप्त होते हैं।

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वैज्ञानिकों ने अब तक 1.7 मिलियन जीवों की प्रजातियों का वर्णन किया है, जो पृथ्वी पर संतुलित जैव विविधता का निर्माण करती हैं। एक अध्यन के अनुसार उत्तराखंड की डेढ़ सौ से अधिक प्रजातियां ऐसी हैं जिनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। पादपों की विदेशी प्रजातियों के दखल से भी जैव विविधता को खतरा बढ़ा है। पार्थेनियम (गाजर घास) अमेरिकी/मैक्सिको की मूल की प्रजाति है। यह आज विश्व में बड़ी तेजी से पांव फैला रही है और विश्व के सात सर्वाधिक हानिकारक पौधों में शुमार है।

Tags: Dehradun Hindi Samachardehradun newsDehradun News in HindiLatest Dehradun News in Hindiplant in dangerplant species is in dangerUttarakhand News
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