कानपुर। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कानपुर में उपजे सिख विरोधी दंगे (Sikh riots) में सैकड़ों लोगों की जाने गई थी। मामले की जांच शासन के निर्देश पर एसआईटी (विशेष जांच दल) कर रही है और लगातार आरोपित जेल भेजे जा रहे हैं। बुधवार को भी एसआईटी ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। अब तक सिख विरोधी दंगे में एसआईटी 40 आरोपितों को सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कानपुर में सिख विरोधी दंगे (Sikh riots) में सैकड़ों निर्दोष लोगों को मार दिया गया था। इसकी फाइनल रिपोर्ट भी लगा दी गई, लेकिन सिख समाज से जुड़े तमाम संगठन लंबे समय से मांग कर रहे थे कि कानपुर सिख विरोधी दंगे की एसआईटी से जांच कराई जाये।
आखिरकार उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 2019 में एसआईटी का गठन किया और टीम ने कानपुर में कार्यालय बनाकर सिख विरोधी दंगे से जुड़े तमाम केसों को फिर से खंगालना शुरु किया। लगातार चल रही जांच के बाद करीब तीन साल बाद एसआईटी ने जिन आरोपितों पर सिख विरोधी दंगा भड़काने और हत्या से जुड़े साक्ष्य मिलते गये उनकी गिरफ्तारियां शुरु कर दी।
बुधवार को भी एसआईटी ने दादा नगर लेबर कॉलोनी में सरदार भगत सिंह, जोगेंद्र सिंह, दलजीत सिंह और सतनाम सिंह की नृशंस हत्या मामले में तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया। एसआईटी अधिकारियों के मुताबिक मामले में गोविंदनगर थाने में हत्या और डकैती समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
जांच में सामने आया कि इस जघन्य हत्याकांड में इलाके के ही कमल किशोर मिश्रा, राजकिशोर मिश्रा और गोविन्द तिवारी का हाथ रहा। टीम ने 65 साल के कमल किशोर मिश्रा उर्फ केके मिश्रा, 70 साल के राजकिशोर मिश्रा और 56 साल के गोविन्द तिवारी को अलग-अलग ठिकानों में छापेमारी करके गिरफ्तार कर लिया। तीनों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया। सिख दंगे में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है। फिलहाल अब तक एसआईटी ने अलग अलग हत्याकांडों से जुड़े 40 आरोपितों को जेल पहुंचा चुकी है।