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तीन महिलाएं जो रही राम मंदिर आंदोलन की अगुवा, भाषण शुरू करते ही लगे थे जय श्री राम के नारे

राम मंदिर

तीन महिलाएं जो रही राम मंदिर आंदोलन की अगुवा, भाषण शुरू करते ही लगे थे जय श्री राम के नारे

नई दिल्ली। राम मंदिर आंदोलन की अलख जगाने में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं का योगदान भी कम नहीं रहा। इन्हीं महिलाओं में शामिल हैं राजमाता विजयाराजे सिंधिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा।

इतिहास को खंगाले तो पता चलता है कि इन तीनों ने राष्ट्र सेविका समिति, दुर्गा वाहिनी और बीजेपी महिला मोर्चा के जरिए राम मंदिर आंदोलन के लिए महिलाओं को प्रेरित करने का काम किया। राजमाता विजयाराजे सिंधिया एक तरफ मंदिर आंदोलन का संयमित चेहरा मानी जाती थीं तो दूसरी तरफ उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा हिंदुत्व की कट्टर छवि वाली नेता के तौर पर जानी जाती थीं। बाबरी विध्वंस के लिए इन तीनों महिलाओं को आरोपी भी बनाया गया था।

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राजमाता विजयाराजे सिंधिया रामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन की एक सशक्त कड़ी रहीं। वह अंतिम सांस तक रामजन्मभूमि मुक्ति के लिए लड़ती रहीं। 5 अगस्त को होने वाले भूमिपूजन पर यदि कारसेवकों की शहादत का जिक्र अनिवार्य है तो राजमाता का जिक्र होना भी आवश्यक है।

करीब 19 साल पहले राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने कहा था कि रामभाव के जागरण से ही देश जगेगा। कारसेवकों के बलिदान की पहली बरसी पर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राजमाता ने यह बात कही थी। विजयाराजे सिंधिया ने कहा था कि मैं समझती हूं वह माता-पिता धन्य हैं जिन्होंने ऐसे वीरों को जन्म दिया, जो प्राणों पर खेलकर देश और धर्म की बलिवेदी पर न्योछावर हो गए। मै उन माता-पिता भरोसा देना चाहती हूं कि वह अकेले नहीं हैं उनका एक बेटा हुतात्मा हुआ, तो लाखों बेटे अभी भी उनके साथ हैं।

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अयोध्या राम मंदिर आंदोलन से उमा भारती को देश भर में राजनीतिक पहचान मिली है। 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के दौरान वो फायरब्रांड महिला नेता के तौर पर उभरीं। राममंदिर के समर्थन में देश में भ्रमण कर सभाएं कीं और जोश जगाने वाला भाषण दिया। विश्व हिंदू परिषद की लगभग हर सभा में वो जबरदस्त भाषण दिया करतीं, वह भी बाबरी विध्वंस मामले की आरोपी हैं। उन पर कारसेवकों पर भीड़ को भड़काने का आरोप लगा जिससे उन्होंने इनकार किया था।

राममंदिर आंदोलन में दुर्गा वाहिनी संगठन की अहम भूमिका रही है, जिसकी कमान उस समय साध्वी ऋतम्भरा के हाथों में रही। भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में अनाथ बालिकाओं के लिए वात्सत्य ग्राम जैसा प्रकल्प संचालित करने के वाली साध्वी ऋतंभरा का मां-बाप ने नाम निशा रखा था। राम मंदिर आंदोलन में उन्होंने ऐसी अलख जगाई कि दुनिया उनको साध्वी ऋतम्भरा के नाम से जान रही है।

साध्वी ऋतम्भरा ही थीं, जिन्होंने कहा कि हां हम हिंदू हैं, हिंदुस्तान हमारा है। साध्वी ऋतम्भरा 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा बनीं। विश्व हिन्दू परिषद् की श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन का एक तेजस्वी चेहरा बनकर उभरीं। उन्होंने इस आंदोलन की सफलता के लिए सारे भारत में धर्म जागरण किया।

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