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इस शुभ मुहूर्त में बांधे भाई को राखी, मन में नहीं रहेगा भद्रा का डर

Raksha Bandhan

Raksha Bandhan

प्यारे भाई की कलाई पर राखी सजाने के लिए बहनों को रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का इंतजार पूरे साल रहता है. सावन का महीना चल रहा है और रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के पर्व में सिर्फ 8 दिन बाकी रह गए हैं. राखी की तैयारियां जोरों पर हैं वहीं बाजार भी राखी और घेवर से सजे हुए हैं.त्योहार का इंतजार हर भाई-बहन को है लेकिन इस बीच एक बड़ी चिंता भी खाए जा रही है. वह चिंता यह है कि राखी किस दिन बांधी जाएगी. इस साल रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार 30 अगस्त को पड़ रहा है, लेकिन पूरे दिन भद्रा का साया है. भद्रा के साए में राखी बांधना बहुत ही अशुभ माना जाता है, इसीलिए हर कोई यही सोच रहा है कि आखिर राखी कब बांधें. हम आपको बताते हैं कि भद्रा से बचकर किस समय बांधें भाई की कलाई पर राखी जिससे मन में न रहे अशुभ का डर.

कब से कब तक है पूर्णिमा तिथि

सावन की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10.58 मिनट पर शुरू होगी और 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक रहेगी. लेकिन पूर्णिमा तिथि शुरू होने के साथ ही भद्रा लग जाएगी जो कि रात को 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगी. यानी कि पूरा दिन भद्रा के साए में ही बीतेगा. हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है, इस समय राखी बांधना भी शुभ नहीं माना जाता है.

ये समय राखी बांधने के लिए शुभ

राखी बांधने के लिए हम आपको ऐसा शुभ मुहूर्त बता रहे हैं जिसमें भद्रा की टेंशन नहीं होगी और बिना डर के आप अपने प्यारे भाई की कलाई पर राखी सजा सकेंगी. रक्षा सूत्र बांधने के लिए 31 अगस्त को सूर्य उदय होने से लेकर 7 बजकर 4 मिनट तक का समय बहुत ही शुभ है. इस समय भद्रा के साए से मुक्त है, तो रक्षाबंधन का त्योहार 31 अगस्त को सुबह मनाया जा सकता है.

इस विधि से बांधें भाई को राखी

भाई को राखी बांधने से पहले थाल सजाएं. थाल में राखी, रोली, चावल, मिठाई, आरती आदि रखें. सबसे पहले भाई के माथे पर तिलक लगाएं. इसके बाद उसके हाथ में राखी बांधे और फिर मिठाई खिलाकर उसका मुंह मीठा करवाएं. साथ ही उसकी आरती उतारते हुए लंबी उम्र की कामना ईश्वर से करें. वहीं भाइयों को भी बहन का मुंह मीठा करवाना चाहिए और उनको गिफ्ट देना चाहिए.

कौन हैं भद्रा?

पुराणों के मुताबिक भद्रा को सूर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन बताया गया है. भद्रा का होना किसी भी शुभ कार्य में वर्जित माना गया है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक जन्म के समय से ही भद्रा मंगल कार्यों में विघ्न डालने लगी थीं. उनका स्वभाव शनि देव की तरह की कठोर था. वह लोगों को परेशान करती थीं. उद्र स्वभाव की वजह से शुभ कार्यों में भद्रा का लगना अशुभ माना जाता है.

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