हिंदू धर्म में दीपावली का त्योहार धनतेरस (Dhanteras) से शुरू हो जाता है। धनतेरस पर शाम के समय देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान कुबेर का पूजन किया जाता है। इस दौरान मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है और शाम के समय दक्षिण दिशा में ‘यम का दीपक’ (Yam Deepak) भी लगाया जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे यहां हमें यम के दीपक के पौराणिक महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
यम का दीपक क्यों लगाया जाता है
धनतेरस (Dhanteras) की शाम को मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने से साथ यमराज को प्रसन्न करने के लिए भी पूजन किया जाता है। घर की दक्षिण दिशा में एक चार मुख वाला दीपक जलाया जाता है। इस चार मुख वाले दीपक को ही ‘यम का दीपक’ कहा जाता है। ज्योतिष के मुताबिक, घर की दक्षिण दिशा की स्वामी यमराज होते हैं। पौराणिक मान्यता है कि धनतेरस पर दक्षिण दिशा में यम का दीपक लगाने से यमराज प्रसन्न होते हैं। घर में सुख-शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
यम का दीपक जलाने का शुभ मुहूर्त
धनतेरस (Dhanteras) पर खरीदारी, दीपदान व पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05.46 मिनट से शाम 07.42 मिनट तक होगा। शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 1 घंटा 56 मिनट है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, प्रदोष काल सुबह 5.29 बजे से 8.07 बजे तक का है। वहीं वृषभ काल 5.46 बजे से 7.42 बजे तक का है। इस दौरान यम का दीपक जलाना शुभ होता है।
ऐसे जलाएं ‘यम का दीपक’
धनतेरस (Dhanteras) के दिन आटे का चौमुखा दीपक बनाएं और उसमें सरसों का तेल भरें। इसमें चार बाती लगाकर घर की दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाएं। इसके अलावा घर के मुख्य द्वार पर गाय के घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और खूब धन-संपत्ति देती हैं।