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”बाबा” के बिना ”तिउहार” अधूरा बा, ना अइहें त एक्को दीया ना जरी

गोरखपुर के वनटांगिया लोगों के मन-मष्तिष्क में आज भी योगी आदित्यनाथ के संघर्ष की गाथा उमड़-घुमड़ रही है। वह दिन याद कर वे अपने बाबा के हठयोग की गवाही भी दे रहे हैं।

कोई उनके ठान लेने भर से कार्य को गति मिलने की बात कह रहा है तो कोई उनकी अनुपस्थिति में न तो दीपावली का दीपक जलाने को कह रहा है और न ही त्योहार मनाने में खुद की कोई रुचि बता रहा है।

जंगल तिकोनिया नम्बर तीन के बुजुर्ग बंशू बताते हैं, “गांव में जवन भी काम लउकत बा, सब बाबा के ही करावल है। नाइ त के पूछे वाला रहल? बाबा के गोड़ (पैर) पड़ल त समझ कि उजियार (प्रकाश) हो गइल।

गांव में सबके लिए पक्का मकान, शौचालय, बिजली, रसोई गैस, खेती के लिए जमीन का पट्टा, बच्चों के लिए स्कूल समेत सीएम योगी से मिले कई सौगातों का जिक्र करते हुए बंशू दीपावली पर सीएम योगी आदित्यनाथ के आने की खुद ही चर्चा कर उत्साहित हो जाते हैं। अब त बाबा के बिना तिउहार (त्योहार) अधूरा लगेला। यह बोलते हुए तनिक जिद में भी आ जाते हैं, बाबा जी नाही अइहें त न त दीया जरी और नइहे तिउहार मनी।

बाबा के नजर नाही पड़त त कई पीढ़ी अउर अइसहीं बीत जात

वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन के मुखिया रहे चन्द्रजीत निषाद की आंखों की रोशनी उनके उम्र की विलोमानुपाती होने लगी है, लेकिन इन आंखों में योगी आदित्यनाथ के संघर्ष की तस्वीर जीवंत है। उनका कहना है कि बाबा जी (योगी) के नजर नाही पड़त त हम्मन के कई पीढ़ी अउर अइसहीं बीत जात।

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चन्द्रजीत का यही एक वाक्य ही वनटांगियों की जिंदगी के सौ साल और अब साढ़े चार साल के अंतर को स्पष्ट कर देता है। चन्द्रजीत उस घटनाक्रम के भी साक्षी हैं जब वनटांगिया समुदाय के बच्चों के लिए एक अस्थायी स्कूल खोलने को लेकर वन विभाग ने योगी पर मुकदमा करा दिया था। योगी तब सांसद थे।

चन्द्रजीत निषाद के मुताबिक, बाबा जवन ठान लेवलें ओके हरहाल में पूरा कइके रहेलें। स्कूल बनवले से रोकल जात रहल। आज गांवें में दू गो स्कूल ही नाही बा बल्कि ऊ सब सुविधा-व्यवस्था भी बा जवन शहर में होला। ई सब बाबा जी के ही देन ह।

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