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TMU एग्रीकल्चर देश के निजी विश्वविद्यालय के टॉप-10 में हुआ शामिल

तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय ने सात साल की उम्र में अपने हजारों विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ ही नवाचार में हमेशा नई उड़ान और उत्साह दिया है।

2014 में स्थापित विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों को पुस्तकीय ज्ञान के साथ ही व्यवहारिक ज्ञान की आवश्यकता से भी हमेशा परिचित कराया। अपने इसी सिद्धांत के चलते टीएमयू को वैश्विक पहचान मिली है।

कृषि प्रधान देश की पहचान को कायम रखते हुए विश्वविद्यालय ने हमेशा अपने विद्यार्थियों को कृषि में नवाचार को प्रेरित किया है। यही वजह है कि टीएमयू के एग्रीकल्चर कॉलेज को भारत के निजी विश्वविद्यालय में टॉप टेन में स्थान मिला है।

एग्रीकल्चर साइंसेज इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च से मान्यता मिलने के बाद अब विश्वविद्यालय के न केवल कृषि छात्र, बल्कि फॅकल्टी की उड़ान को भी नया मुकाम हासिल हो गया है।

एक्रीडिटेशन के बाद देश भर के निजी विश्वविद्यालय में टीएमयू 9 वें पायदान पर आ गया है। नॉर्थ इंडिया में तीसरे जबकि यूपी की रैंकिंग में नंबर दो पर आ गया है।

अर्जुन, अजवायन की महक मोह लेती मन

टीएमयू ने कृषि और अनुसंधान के हर पहलू को समाहित कर यह सफलता हासिल की है। शुरुआत से ही विश्वविद्यालय कैंपस का रिसर्च फार्मिंग आकर्षण का केंद्र रहा है। फार्म में अदरक, हल्दी, लौकी, बैंगन, पालक, मूली, भिंडी, मूंगफली, उड़द के अलावा औषधीय गुणों से भरपूर पौधों की वाटिका है।

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में नहीं हुआ कोई बदलाव, कच्चे तेल में तेजी कायम

इनमें अर्जुन, अजवायन, छोटी इलायची, हींग आदि खूब फल-फूल रही हैं। ग्रीन हाउस और हाइड्रोफोनिक सिस्टम भी है।  विश्वविद्यालय में कृषि के विद्यार्थियों के अलावा उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड के सैकड़ों किसान उन्नत खेती की जानकारी प्राप्त करने को यहां आते हैं। विश्वविद्यालय के लब्ध प्रतिष्ठ कृषि वैज्ञानिकों से खेती के आधुनिक गुर सीखते हैं।

स्टार्ट अप से बदली जिंदगी

विश्वविद्यालय कृषि छात्रों की स्टार्ट अप के जरिए दुनिया बदल चुकी है। कोविड काल में कृषि से जुड़े छात्रों के स्टार्ट अप्स ने उन्हें आज सफल एंटरप्रेन्योर की श्रेणी में शामिल कर दिया है। गार्डन मेंटीनेंस डिवाइस बनाकर प्रो एमपी सिंह व डॉ देवेंद्र पाल की टीम को दो भारतीय पेटेंट्स भी मिल चुके हैं। विश्वविद्यालय से यूजी पासआउट कर चुकी सोनभद्र की छात्रा निकिता गोयल को हाल ही में यूपीसीएटीईटी-2021 में 23 वीं रैंक प्राप्त हुई है। नेपाल के अलावा यूपीए, झारखंड, बिहार, मध्य-प्रदेश, तमिलनाडु से विश्वविद्यालय में सैकड़ों छात्र कृषि के स्नातक पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत हैं। अब तक 300 विद्यार्थी स्नातक कर चुके हैं।

बोले विशेषज्ञ

टीएमयू की उपलब्धि पर फादर ऑफ इंडियन शिवालिक मैंथा व 2005 में पद्मश्री से विभूषित सुशील सहाय ने कहा कि आईसीएआर से मान्यता मिलना बड़ी उपलब्धि है। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को न केवल अब अध्ययन बल्कि प्लेसमेंट भी बेहतरीन उपलब्ध होगा। इसके लिए विश्वविद्यालय कुलाधिपति, सुरेश जैन को बधाई दी। ऑर्गेनिक खेती के लिए 2019 में पद्मश्री से अलंकृत भारत भूषण त्यागी ने कहा कि टीएमयू की इस उपलब्धि के बाद एग्रीकल्चर सेक्टर में जाने वाले युवाओं के लिए स्वर्णिम द्वार खुल गए हैं। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलाधिपति, प्रो नरेंद्र सिंह राठौर ने कहा कि आईसीएआर से मान्यता मिलने के बाद किसी भी एग्रीकल्चर कॉलेज की डिग्री को प्रोफेशनल मान्यता मिल जाती है। टीएमयू का यह बड़ा कदम है।

कृषि में पीजी व शोध जल्द शुरु होंगे

टीएमयू अब जल्द ही एमएससी और पीएचडी के कोर्सेज शुरु करेगा। डॉ एमपी सिंह ने उपलब्धि का श्रेय कुलाधिपति, सुरेश जैन, जीवीसी, मनीष जैन, एमजीबी, अक्षत जैन के साथ ही विश्वविद्यालय कुलपति, प्रो रघुवीर सिंह, रजिस्ट्रार, आदित्य शर्मा के साथ ही शिक्षक व विद्यार्थियों को दिया।

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