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जीवन को बनाना है सफल, तो जरुर जानें चाणक्य नीति की ये बातें

chanakya niti

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आचार्य चाणक्य एक कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विश्व विख्‍यात हुए. आज भी चाणक्य के बताए गए सिद्धांत और नीतियां प्रासंगिक हैं. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के माध्‍यम से मित्र-शत्रु की पहचान और जीवन की कुछ समस्‍याओं के समाधन की ओर भी ध्‍यान दिलाया है. साथ ही इसमें जीवन को सफल बनाने के साथ कुछ अहम बातें भी बताई गई हैं.

चाणक्‍य नीति कहती है कि व्‍यक्ति को संयमी जीवन जीना चाहिए. अगर हम किसी से कुछ पाना चाहते हैं, तो उससे विनम्र व्‍यवहार बनाए रखें. आज हम आपके लिए ‘हिंदी साहित्य दर्पण’ के साभार से लेकर आए हैं आचार्य चाणक्य की कुछ नीतियां. इनको जीवन में उतार कर व्‍यक्ति जीवन में न सिर्फ सफल ही हो सकता है, बल्कि सुखी जीवन व्‍यतीत करते हुए खुद को बेहतर मनुष्‍य भी बना सकता है. इसलिए जीवन में इन बातों पर जरूर ध्‍यान दिया जाना चाहिए.

वे एक-दूसरे के साथ वफादार नहीं

उस स्त्री या पुरुष का ह्रदय पूर्ण नहीं है, वह बंटा हुआ है, जो एक दूसरे के साथ वफादार नहीं हैं. वे जब एक से बात करते हैं, तो दूसरे की ओर वासना से देखते हैं और उनके मन में तीसरे का ख्‍याल होता है.

जो व्यक्ति गुणों से रहित है

आचार्य चाणक्‍य के अनुसार जो व्यक्ति गुणों से रहित है लेकिन जिसकी लोग सराहना करते है वह दुनिया में काबिल माना जा सकता है. लेकिन जो आदमी खुद की ही डींगें हांकता है वो अपने आप को दूसरे की नजरों में गिराता है.

जो अच्छे गुणों का परिचय देता है

चाणक्‍य नीति के अनुसार अगर एक विवेक संपन्न व्यक्ति अच्छे गुणों का परिचय देता है, तो उसके गुणों की आभा को रत्न जैसी मान्यता मिलती है. एक ऐसा रत्न जो प्रज्वलित है और सोने में मढ़ने पर और चमकता है.

वह है सर्व गुण संपन्न

आचार्य चाणक्‍य के अनुसार वह व्यक्ति जो सर्व गुण संपन्न है, अपने आप को सिद्ध नहीं कर सकता है जब तक उसे समुचित संरक्षण नहीं मिल जाता. उसी प्रकार जैसे एक मणि तब तक नहीं निखरती जब तक उसे आभूषण में सजाया ना जाए.

किसी काम का नहीं वह धन

चाणक्‍य नीति कहती है कि ऐसी दौलत किस काम की जिसके लिए कठोर यातना सहनी पड़े या सदाचार का त्याग करना पड़े. या फिर अपने शत्रु की चापलूसी करनी पड़े.

सुपात्र को ही दिया जाए दान

आचार्य चाणक्‍य के अनुसार सभी परोपकार और तप तात्कालिक लाभ देते है, लेकिन सुपात्र को जो दान दिया जाता है और सभी जीवो को जो संरक्षण प्रदान किया जाता है उसका पुण्य कभी नष्ट नहीं होता.

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