भगवान शिव के प्रिय मास सावन में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस बार 8 अगस्त को हरियाली अमावस्या है।
हिंदू धर्म में हरियाली अमावस्या का काफी महत्व होता है। इस दिन माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। माना जाता है जो भक्त सच्चे मन से माता पार्वती की आराधना करता है उसके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। नारद पुराण के मुताबिक, सावन मास की अमावस्या को पितृ श्राद्ध, दान, देव पूजा एवं वृक्षारोपण आदि शुभ कार्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
हरियाली अमावस्या पर कुंवारी लड़कियां व्रत रखती हैं जिससे उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति हो सके। वहीं, सुहागिन महिलाओं का सुहाग हमेशा बना रहता है। इसी कारण से विवाहित स्त्री और अविवाहित कन्या दोनों व्रत रखकर मां पार्वती का पूजन करती हैं। मान्यता है कि, जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष, पितृ दोष और शनि का प्रकोप है वे हरियाली अमावस्या के दिन शिवलिंग का जलाभिषेक, पंचामृत या रुद्राभिषेक करके सभी प्रकार के दोषों से मुक्त हो जाते हैं।
हरियाली अमावस्या की पूजा-विधि
इस दिन दोपहर 12 बजे से पहले पीपल के पेड़ की 21 बार परिक्रमा करके शिवलिंग का जलाभिषेक करें।
पूजा के दौरान तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं।
आज के दिन ब्राह्माणों और जरूरतमंद लोगों को अपनी हिसाब से दान पुण्य करें।
हरियाली अमावस्या के नियम
हरियाली अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ईष्टदेव का ध्यान करना चाहिए।
स्नान दान के लिए अमावस्या बहुत ही सौभाग्यशाली तिथि मानी जाती है।
हरियाली अमावस्या पर अपने पितरों की शांति के लिए हवन आदि करवाने का विशेष महत्व है।
हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण का महत्व
हरियाली अमावस्या के दिन पेड़-पौधे जरुर लगाने चाहिए। दरअसल कहा जाता है कि वृक्षों में देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए इस दिन पौधा लगाना शुभ माना गया है।