उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को समझने के लिए उसके सेवा भाव को समझना होगा। आरएसएस एक ऐसा संगठन है, जो बिना किसी सरकारी सहयोग के सेवा कार्य करता है।
गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आरएसएस के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर द्वारा लिखी पुस्तक ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र’ के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित करते हुये श्री योगी ने कहा कि यह मात्र एक पुस्तक नहीं है। यह एक दृष्टि है।
संघ का सेवा कार्य लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींचता है। दूध और शक्कर के मिलन की तरह ही आरएसएस अपनी उपस्थिति का एहसास कराता रहा है। शक्कर की तरह इसे हर कोई एहसास करता है। यही इस पुस्तक में भी दिया है। यदि संघ को समझना है तो उसके सेवा भाव को समझना होगा।
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उन्होंने कहा कि लाकडाउन में भी संघ ने अपने सेवा भाव का अहसास कराया। हर कोई चिंतित था कि कैसे लाक डाउन में परिस्थितियों को संभाला जाय। जहां दुनिया का हर व्यक्ति स्वतंत्रता का सदुपयोग व दुरपयोग दोनों करना जानता है, ऐसे में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पहला संगठन था, जो लोगों को घर-घर जाकर सहायता पहुंचाने के लिए आगे आया था। राज्य सरकारों ने उपेक्षा की होगी लेकिन आरएसएस ने किसी की उपेक्षा नहीं की। सेवा की यह पराकाष्ठा रही कि लोगों को चप्पल पहनाने से लेकर घर पहुंचाने तक का काम किया था। आरएसएस ने किसी की जाति किसी का धर्म नहीं पूछा था।
श्री योगी ने कहा कि इसी का नतीजा रहा कि मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने में सरकारों को सहायता मिल पायी। देश में कहीं भी आपदा आती है तो स्वयं सेवक स्वत: स्फूर्त रूप से वहां के सेवा भाव से जुड़ता है। यही तो राष्ट्रवाद है। आपदा के समय खुद की परवाह नहीं करते हुए गरीबों के जीवन में किस तरह संघ ने आनंद भरा, यह पूरी दुनिया ने देखा है।
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उन्होने कहा “ यदि आपके विरोध में कोई बोलने वाला नहीं है तो आपने अच्छा काम नहीं किया। संघ ने यही काम किया है। संघ ने हमेशा सेवा भाव से सेवा काम किया है। यहां से निकलकर स्वयंसेवक निकलकर सुदुर दक्षिण भारत में सेवा काम कर सकता है, तो वह स्वयं सेवक ही कर सकता है। ऐसी सोच भी संघ ही सकता है।”