देव गुरु बृहस्पति (Guru Brahaspati ) 14 मई को राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। 14 मई 2025 को मिथुन राशि में हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह और ज्योतिष में विस्तार, विकास और ज्ञान का अग्रदूत बृहस्पति गोचर करेगा और जून 2026 तक मिथुन राशि में ही रहेगा। विकास और विस्तार के ग्रह बृहस्पति (Guru Brahaspati ) के मिथुन राशि में प्रवेश से ये साल संचार, लचीलेपन और मानसिक विकास का वर्ष होगा। इस परिवर्तन से शिक्षा और मीडिया से लेकर तकनीक क्षेत्र पर प्रभाव पड़ेगा। बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी होते हैं। यह गोचर एक गतिशील परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है।
गुरु (Guru Brahaspati ) हो जायेंगे अतिचारी
अतिचारी गुरु बृहस्पति (Guru Brahaspati ) के त्वरित पारगमन को संदर्भित करता है, आम तौर पर, बृहस्पति को एक राशि से दूसरी राशि में पारगमन करने में लगभग 12-13 महीने लगते हैं लेकिन जब ये अतिचारी हो जाते हैं तो ये अधिक तेज़ी से एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करता है। जिसमें कभी कभी एक महीने से भी कम समय लगता है।
कहा जाता है कि ऐसी स्तिथि में बृहस्पति अतिचारी गति से यानि की तेजी से आगे बढ़ता है जिससे जीवन के हर पहलु का प्रभाव बढ़ जाता है फिर चाहे वो सकारात्मक हो या नकारात्मक। गुरू जब अतिचारी होता है तो अराजकता,अशांति और व्यवधान पैदा करता है। गुरु का ये मिथुन राशि में गोचर 12 साल बाद होगा।
सभी राशियों पर होगा प्रभाव
एक वर्ष बाद देवगुरु बृहस्पति का साल 2025 में मिथुन राशि में गोचर करने से सभी 12 राशियों के जातकों पर इसका विशेष प्रभाव पड़ेगा।गुरु के 14 मई को गोचर करने से कुछ राशि वालों के लिए आने वाला समय बहुत ही शुभ साबित हो सकता है
वैसे तो गुरु एक साल में राशि परिवर्तन करते हैं ऐसे में सभी राशियों का चक्कर लगाकर दोबारा उसी राशि में आने में गुरु को लगभग 12 साल का समय लग जाता है। लेकिन गुरु के अतिचारी होने पर इनकी चाल में तेजी आएगी।