आज पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि हैं जो रुक्मणि अष्टमी (Rukmini Ashtami) के तौर पर जानी जाती हैं। देवी रुक्मिणी भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में से एक थी। आज के दिन रुक्मणि के साथ कृष्ण भगवान का पूजन किया जाता है। इसी के साथ ही आज मां लक्ष्मी का पूजन भी किया जाता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ मंत्र के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपकी परेशानियों का अंत करेंगे और इसी के साथ ही पूजन करने की विधि के बारे में भी बताएंगे। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
रुक्मिणी अष्टमी (Rukmini Ashtami) पर करें इन मन्त्रों का जाप
– द्वापर युग में गोपियों ने किया था इस मंत्र का जाप- कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरू ते नम:।।
– गृह क्लेश दूर करने का मंत्र- कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥
– लव मैरिज- क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।’
– धन वापस दिलाने वाला मंत्र- कृं कृष्णाय नमः।
– स्थिर लक्ष्मी प्राप्ति का मंत्र- लीलादंड गोपीजनसंसक्तदोर्दण्ड बालरूप मेघश्याम भगवन विष्णो स्वाहा।
– विद्या प्राप्ति का मंत्र- ॐ कृष्ण कृष्ण महाकृष्ण सर्वज्ञ त्वं प्रसीद मे। रमारमण विद्येश विद्यामाशु प्रयच्छ मे॥
– धन प्राप्ति का मंत्र- गोवल्लभाय स्वाहा।
– इच्छा पूर्ति मंत्र- ‘गोकुल नाथाय नमः।
– समस्त बाधा दूर करने वाला मंत्र- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री’।
– वाणी में मधुरता लाने वाला मंत्र- ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ह्र्सो।
पूजन करने की विधि
– अष्टमी तिथि (Rukmini Ashtami) के दिन सुबह स्नानादि करके स्वच्छ स्थान पर भगवान श्री कृष्ण और मां रुक्मिणी की प्रतिमा स्थापित करें।
– स्वच्छ जल दक्षिणावर्ती शंख में भर लें और अभिषेक करें।
– तत्पशचात कृष्ण जी को पीले और देवी रुक्मिणी को लाल वस्त्र अर्पित करें।
– कुंमकुंम से तिलक करके हल्दी, इत्र और फूल आदि से पूजन करें।
– अभिषेक करते समय कृष्ण मंत्र और देवी लक्ष्मी के मंत्रों का उच्चारण करते रहें।
– तुलसी मिश्रित खीर से दोनों को भोग लगाएं।
– गाय के घी का दीपक जलाकर, कर्पूर के साथ आरती करें। सायंकाल के समय पुन: पूजन-आरती करके फलाहार ग्रहण करें।
– रात्रि जागरण करें और निरंतर कृष्ण मंत्रों का जाप करें।
– अगले दिन नवमी को ब्राह्मणों को भोजन करा कर व्रत को पूर्ण करें, तत्पश्चात स्वयं पारण करें।
– रुक्मिणी अष्टमी (Rukmini Ashtami) के दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ देवी रुक्मिणी का पूजन करने से जीवन मंगलमय हो जाता है और जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है।