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आज है साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानें भारत में कब-कहां देगा दिखाई

आज साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। 15 दिनों के अंदर लगने वाला ये दूसरा ग्रहण है। ज्योतिष में इतने कम समय के अंतराल पर पड़ने वाले ग्रहण को अशुभ माना जाता है। इस साल कुल मिलाकर 4 ग्रहण लग रहे हैं। दो सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण। पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लग चुका है जबकि दूसरा चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को लगेगा। वहीं 10 जून के बाद दूसरा सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर को लगेगा। आइए जानते हैं आज लगने वाले इस सूर्य ग्रहण से जुड़ी सारी खास बातें।

सूर्य ग्रहण का समय

इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून यानी आज लग रहा है। इस दिन ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है। इसके अलावा इस दिन शन‍ि जयंती और वट साव‍ित्र‍ि व्रत भी है। ये ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट पर लगेगा और शाम 6 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा।

सूर्य ग्रहण का राशियों पर असर

सूर्य ग्रहण वृष राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। इसलिए इस राशि के जातकों को ग्रहण काल के दौरान कुछ परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है। इसके अलावा, इस ग्रहण का कुछ ना कुछ सभी राशियों पर पड़ेगा।

कहां-कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण

10 जून को लगने वाला ये सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, यूरोप, एशिया में आंशिक रूप में दिखाई देगा। जबकि ग्रीनलैंड, उत्तरी कनाडा और रूस में पूर्ण सूर्य ग्रहण देखने को मिलेगा। NASA के मैप के मुताबिक, ये सूर्य ग्रहण भारत में सिर्फ लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में दिखाई देगा।

क्या हैं सूतक के नियम

सूर्य ग्रहण का सूतक ग्रहण से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार सूतक के नियम वहीं माने जाते हैं, जहां ये ग्रहण दिखाई देता है। इस सूर्य ग्रहण के नियम अरुणाचल प्रदेश के उस हिस्सों में ही लागू होंगे जहां ये ग्रहण दिखाई देगा। बाकी भारत में सूतक के कोई नियम मान्य नहीं होंगे।

आज है साल का पहला पूर्ण सूर्यग्रहण, इस दौरान न करें ये काम

भारत पर इसका असर

ये सूर्य ग्रहण लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में दिखाई देगा। इसलिए सूतक के नियम सिर्फ इन्हीं जगहों पर माने जाएंगे। बाकी भारत के सारे हिस्सों में ना तो सूतक काल माना जाएगा और ना ही इस दौरान किसी तरह के कार्यों पर पाबंदी होगी। हालांकि नक्षत्र और राशि में लगने का असर जातकों पर जरूर पड़ेगा। ज्योतिष में 15 दिन के अंदर दो ग्रहण पड़ना अच्छा नहीं माना जाता है।

सूर्य ग्रहण पर दिखेगा रिंग ऑफ फायर

10 जून को लगने वाला ग्रहण रिंग ऑफ फायर यानी एक आग निकलती अंगूठी की तरह दिखाई देगा। जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक साथ संरेखित होते हैं और चंद्रमा सूर्य के बीच के भाग को पूरी तरह ढक लेता है तो उस समय सिर्फ सूर्य के चमकीले किनारे नजर आते हैं। ग्रहण की इस स्थिति को रिंग ऑफ फायर’ कहा जाता है।

जब चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो सूर्य की रौशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती है इस स्थिति को ही सूर्य ग्रहण कहते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहण का प्रभाव तीव्र होता है। जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह ढंक लेता है तो इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं। जब चंद्रमा सूर्य के कुछ भाग को ही ढंक पाता है तो इसे आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं। वहीं चंद्रमा जब सूर्य को बीचोंबीच ढंक लेता है तो इसे वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।

ग्रहण देखते समय क्या सावधानियां बरतें

आसमान में होने वाली इस खगोलीय घटना को कभी भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए क्योंकि सूर्य की किरणें आखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। सूर्य ग्रहण को टेलीस्कोप से भी नहीं देखाना चाहिए. इसे देखने के लिए विशेष रूप से बनाए गए चश्मों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

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