• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

Buddha Purnima: जीवन में दुःख है इस दुःख को समाप्त करना ही मोक्ष या परिनिर्वाण

Writer D by Writer D
16/05/2022
in Main Slider, अयोध्या, उत्तर प्रदेश, धर्म
0
Buddha

Buddha

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

अयोध्या/लखनऊ। बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह बैसाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा(Buddha Purnima) के दिन ही गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। 563 ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म लुंबिनी, शाक्य राज्य (आज का नेपाल) में हुआ था। इस पूर्णिमा के दिन ही 483 ई. पू. में 80 वर्ष की आयु में ‘कुशनारा‘ में में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। वर्तमान समय का कुशीनगर (Kushinagar) ही उस समय ‘कुशनारा‘ था। इस वर्ष 2022 में बुद्ध पूर्णिमा 16 मई को है भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति (बुद्धत्व या संबोधि) और महापरिनिर्वाण ये तीनों वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे। इसी दिन भगवान बुद्ध (Buddha) को बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी। आज बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में 180 करोड़ से अधिक लोग है तथा इसे धूमधाम से मनाते हैं।

हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं। अतः हिन्दुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है। बिहार स्थित बोधगया नामक स्थान हिन्दू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान हैं। गृहत्याग के पश्चात सिद्धार्थ सत्य की खोज के लिए सात वर्षों तक वन में भटकते रहे। यहाँ उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई। तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बुद्ध की महापरिनिर्वाणस्थली कुशीनगर में स्थित महापरिनिर्वाण विहार पर एक माह का मेला लगता है। यद्यपि यह तीर्थ गौतम बुद्ध से संबंधित है, लेकिन आस-पास के क्षेत्र में हिंदू धर्म के लोगों की संख्या ज्यादा है जो विहारों में पूजा-अर्चना करने वे श्रद्धा के साथ आते हैं। इस विहार का महत्व बुद्ध के महापरिनिर्वाण से है। इस मंदिर का स्थापत्य अजंता की गुफाओं से प्रेरित है। इस विहार में भगवान बुद्ध की लेटी हुई (भू-स्पर्श मुद्रा) 6.1 मीटर लंबी मूर्ति है। जो लाल बलुई मिट्टी की बनी है। यह विहार उसी स्थान पर बनाया गया है, जहां से यह मूर्ति निकाली गयी थी। विहार के पूर्व हिस्से में एक स्तूप है। यहां पर भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया था।

यह मूर्ति भी अजंता में बनी भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण मूर्ति की प्रतिकृति है। श्रीलंका व अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में इस दिन को श्वेसाकश् उत्सव के रूप में मनाते हैं जो ‘वैशाख‘ शब्द का अपभ्रंश है। इस दिन बौद्ध अनुयायी घरों में दीपक जलाए जाते हैं और फूलों से घरों को सजाते हैं। विश्व भर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं और प्रार्थनाएँ करते हैं। इस दिन बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है। विहारों व घरों में बुद्ध की मूर्ति पर फल-फूल चढ़ाते हैं और दीपक जलाकर पूजा करते हैं। बोधिवृक्ष की भी पूजा की जाती है। उसकी शाखाओं को हार व रंगीन पताकाओं से सजाते हैं। वृक्ष के आसपास दीपक जलाकर इसकी जड़ों में दूध व सुगंधित पानी डाला जाता है। इस पूर्णिमा के दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है। पिंजरों से पक्षियों को मुक्त करते हैं व गरीबों को भोजन व वस्त्र दान किए जाते हैं।

अखिलेश यादव ने बुद्ध पूर्णिमा पर्व पर प्रदेशवासियों को दी शुभकामनाएं

दिल्ली स्थित बुद्ध संग्रहालय में इस दिन बुद्ध की अस्थियों को बाहर प्रदर्शित किया जाता है, जिससे कि बौद्ध धर्मावलंबी वहाँ आकर प्रार्थना कर सकें। वर्ष 2009 में बुद्ध पूर्णिमा की तिथि 9 मई थी। भारत के अलावा कुछ अन्य देशों में यह 8 मई को भी मनाया गया। थाईलैंड के महानिकाय और धम्मयुतिका मतों ने 8 और श्रीलंका में भी 8 मई को मनाया गया। जबकि सिंगापुर में 9 मई को मनाया गया।

गृहत्याग

एक दिन महात्मा बुद्ध को कपिलवस्तु की सैर की इच्छा हुई और वे अपने सारथी को साथ लेकर सैर पर निकले। मार्ग में चार दृश्यों को देखकर घर त्याग कर सन्यास लेने का प्रण लिया, लेकिन श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 15 के श्लोक 1 से 4 में बताए गए तत्वदर्शी संत न मिलने से उनका जीवन व्यर्थ ही गया और पूर्ण मोक्ष से वंचित रहे। हर साल की तरह इस साल भी बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार आ रहा है, जो कि इस बार 16 मई सोमवार के दिन मनाया जाएगा।

बुद्ध पूर्णिमा पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रदेशवासियों को दी बधाई

हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है। जहां बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बौद्ध अनुयायियों के लिए खास महत्व रखता है, तो वहीं हिंदुओं के लिए भी इस दिन की अलग मान्यता है। वहीं, मान्यता इस बात की भी है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और उन्होंने कठिन साधना की जिसके बाद उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई थी। लेकिन क्या आप इस दिन के इतिहास और इस दिन को मनाने के पीछे के उद्धेश्य के बारे में जानते हैं? शायद नहीं, तो चलिए जानते हैं।

इसलिए मनाते हैं बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima)

दरअसल, जब भगवान बुद्ध ने अपने जीवन में हिंसा, पाप और मृत्यु के बारे में जाना, तब से उन्होंने मोह और माया को त्याग दिया। ऐसे में उन्होंने अपने परिवार को छोड़कर सभी जिम्मेदारियों से मुक्ति ले ली, और खुद सत्य की खोज में निकल पड़े। इसके बाद बुद्ध को सत्य का ज्ञान भी हुआ। वहीं, वैशाख पूर्णिमा की तिथि का भगवान बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाओं से विशेष संबंध है। इसी वजह से हर साल वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।

ये है इतिहास

20वीं दी से पहले तक बुद्ध पूर्णिमा को आधिकारिक बौद्ध अवकाश का दर्जा प्राप्त नहीं था। लेकिन सन 1950 में श्रीलंका में विश्व बौद्ध सभा का आयोजन किया गया और ये आयोजन बौद्ध धर्म की चर्चा करने के लिए किया गया था। इसके बाद से ही इस सभा में बुद्ध पूर्णिमा को आधिकारिक अवकाश बनाने का फैसला हुआ। वहीं, इस दिन को भगवान बुद्ध के जन्मदिन के सम्मान में मानाया जाता है।

ऐसे हुई बुद्धत्व की प्राप्ति

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, बुद्ध जब महज 29 साल के थे, तब उन्होंने संन्यास धारण कर लिया था और फिर उन्होंने बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे 6 साल तक कठिन तप किया था। वो बोधिवृक्ष बिहार के गया जिले में आज भी स्थित है। भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था। वहीं, 483 ईसा पूर्व वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध पंचतत्व में विलीन हुए थे।

पीएम मोदी पहुंचे लुंबिनी, महामाया मंदिर में की पूजा अर्चना

भारत के अलावा इन देशों में मनाया जाता है ये दिन

भारत के अलावा विदेशों में भी सैकड़ों सालों से बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। इसमें कंबोडिया, नेपाल, जापान, चीन, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड आदि कई देश शामिल हैं, जो इस दिन बुद्ध जयंती मनाते हैं।

Tags: ayodhya newsbudda purnimabuddha purnima 2022Gautam BuddhaLucknow
Previous Post

अखिलेश यादव ने बुद्ध पूर्णिमा पर्व पर प्रदेशवासियों को दी शुभकामनाएं

Next Post

Gyanvapi Masjid: शिवलिंग मिलने वाली जगह को सील करने का आदेश, कोर्ट ने वजु पर लगाई पाबंदी

Writer D

Writer D

Related Posts

Dhirendra Shastri launches Sanatan Hindu Unity Padyatra 2.0
Main Slider

हमें मुसलमानों से कोई दिक्कत नहीं लेकिन… दिल्ली में बोले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री

07/11/2025
Azam Khan-Akhilesh Yadav
उत्तर प्रदेश

अचानक अखिलेश से मिलने पहुंचे आजम खान, सियासी गलियारे में हलचल तेज

07/11/2025
CM Yogi
उत्तर प्रदेश

भारत की आजादी का अमर मंत्र बन गया था वन्दे मातरम्ः सीएम योगी

07/11/2025
Katrina Kaif and Vicky Kaushal become parents
Main Slider

कटरीना-विकी कौशल बने मम्मी पापा, घर आया नन्हा मेहमान

07/11/2025
PM Modi
Main Slider

‘वंदे मातरम’ माँ भारती की आराधना है… 150 साल के उत्सव पर बोले पीएम मोदी

07/11/2025
Next Post
Gyanvapi

Gyanvapi Masjid: शिवलिंग मिलने वाली जगह को सील करने का आदेश, कोर्ट ने वजु पर लगाई पाबंदी

यह भी पढ़ें

Pakistan Team

7 साल बाद भारत में खेलने आई पाकिस्तानी टीम, पहुँचते ही कर डाली ये बड़ी डिमांड

28/09/2023
Gupt Navratri

गुप्त नवरात्रि पर राशिनुसार करें उपाय, चमक जाएगा भाग्य

24/01/2025
किसानों को जुमले देना बंद करो सरकार stop giving jumalis to the farmers

‘मित्रों’ की आय हुई चौगुनी और किसान की होगी आधी : राहुल-प्रियंका

02/12/2020
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version