वैसे तो हर दिन बेटियों का दिन होता है लेकिन आज के दिन को खासतौर पर दुनियाभर में इंटरनेशनल डॉटर्स डे के रूप में मनाया जा रहा है। यह दिन सितंबर महीने के चौथे रविवार के दिन हर साल सेलिब्रेट किया जाता है। इस बार यह दिन आज यानी 26 सितंबर के दिन मनाया जा रहा है।
इस दिन को मनाने का उद्देश्य समाज और देश के विकास में बेटियों के योगदान और उनकी अहमियत को याद करना है। इतिहास की बात की जाए या वर्तमान की, बेटियां हमेशा अपने परिवार, समाज, देश और मानवता के विकास में अभूतपूर्व योगदान देती आईं हैं लेकिन उन्हें उनके कार्य की सराहना या प्रोत्साहना उतनी नहीं मिली जितनी उन्हें मिलनी चाहिए थी। ऐसे में उनके प्रति प्यार, सम्मान और लगाव को जताने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।
ये है महत्व
21वीं सदी में भी कई ऐसे परिवार हैं जहां सिर्फ बेटे की ही चाहत रखने वाले लोग हैं और कन्या शिशु के जन्म को लोग अभिशाप और प्रताड़ना समझते हैं। हमारे देश में भ्रूण हत्या का सबसे बड़ा कारण ये ही है। ऐसे में समाज की यह जिम्मेदारी है कि वह इस मानसिकता को जड़ से बदलने का प्रयास करे और अपनी बेटियों को कमजोरी नहीं, ताकत बनाने में मदद करे।
डॉटर्स डे का इतिहास
दुनियाभर में कई ऐसे देश हैं जहां आज भी समाज में लड़के और लड़कियों के बीच गहरी खाई है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को बोझ समझा जाता है और उन्हें तमाम तरह की सुविधाओं और बेहतर अवसर से दूर रखा जाता है। ऐसे में इस गहरी खाई को पाटने की पहल संयुक्त राष्ट्र ने की।
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लड़कियों के महत्व को समझते हुए और उन्हें सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने साल 2012 में एक दिन बेटियों को समर्पित किया। संयुक्त राष्ट्र की इस पहल का स्वागत दुनियाभर के देशों ने किया। तब से अब तक हर साल सितंबर महीने के चौथे रविवार को डॉटर्स डे के रूप में मनाया जाता है। हालांकि, कई ऐसे देश भी हैं जहां अलग-अलग दिन इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है।
क्या है उद्देश्य?
इस दिन को सेलिब्रेट करने का उद्देश्य दरअसल बेटियों को यह बताना है कि वे कितनी खास हैं। इसके अलावा यह दिन बेटियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और जेंडर इक्वलिटी को प्रोत्साहित करने के लिए भी मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मतलब समाज को यह समझाना भी है कि वे लड़कियों को भी लड़कों की तरह समान अधिकार और अवसर दें।