आस्था का महापर्व छठ (Chhath) सूर्य देव और छठी मैय्या की उपासना के लिए होता है। इस दौरान महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत करती हैं। इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। छठ पूजा नहाय-खाय से शुरू होती है और अगले दिन खरना से 36 घंटे का व्रत शुरू किया जाता है। साथ ही, छठ पूजा (Chhath Puja) में दो बार अर्घ्य दिया जाता है – एक संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) और दूसरा उषा अर्घ्य। सोमवार, 27 अक्टूबर को पहला यानी संध्या अर्घ्य दिया जाएगा। चलिए हम आपको बताएंगे कि छठ पूजा (Chhath Puja) में संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) का मुहूर्त क्या है, संध्या अर्घ्य कैसे दिया जाता है और संघ्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) देने का मंत्र क्या है।
छठ पूजा (Chhath Puja) का पहला अर्घ्य कब है?
छठ पूजा (Chhath Puja) के तीसरे दिन शाम के समय अस्तगामी यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान सूर्य और षष्ठी माता के मंत्रों का जाप करना शुभ होता है। इस दिन व्रती बिना अन्न और जल ग्रहण किए रहते हैं और यह छठ पूजा का मुख्य दिन होता है। फिर इसके अगले दिन उषा अर्घ्य यानी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और व्रत का पारण होता है।
27 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य टाइम – शाम 4:50 मिनट से 5:41 मिनट तक।
छठ पूजा में संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) कैसे दिया जाता है?
छठ पूजा में संध्या अर्घ्य छठ पूजा का मुख्य दिन होता है, जब व्रती कमर तक पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है। इस दौरान बांस की टोकरी में कुछ फल आदि प्रसाद सजाए जाते हैं, जिन्हें डूबते सूर्य को अर्पित किया जाता है।
संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) की विधि
– संध्या अर्घ्य कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यास्त के समय दें।
– बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना, चावल के लड्डू सजाएं।
– व्रती नदी या तालाब के किनारे कमर तक पानी में खड़े हों।
– इसके बाद दूध और जल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
– सूप में सजाई गई सामग्री को भी सूर्य देव को अर्पित करें।
– इस दौरान छठी मैया के लोकगीत या मंत्रों का जाप करें।
सूर्य को अर्घ्य (Sandhya Arghya) देने का मंत्र
छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य (Sandhya Arghya) देते समय आप नीचे दिए गए मंत्रों का जाप कर सकते हैं-
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ घृणि सूर्याय नमः
ॐ आदित्याय नमः
इसके अलावा, सूर्य को अर्घ्य देने का सबसे प्रचलित मंत्र “ॐ घृणि सूर्याय नमः” है, जिसे अर्घ्य देते समय लगातार दोहराना चाहिए।
संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) का महत्व
स्वास्थ्य और समृद्धि:- संध्या अर्घ्य देने से व्यक्ति को स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, पापों का नाश होता है।
जीवन के उतार-चढ़ाव:- डूबते सूर्य को अर्घ्य देना जीवन के उतार-चढ़ाव को समझने का प्रतीक होता है।
प्रकृति के प्रति आभार:- यह अनुष्ठान प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका माना जाता है।
संतान की समृद्धि:- इस दौरान संतान की समृद्धि और दीर्घायु की कामना की जाती है।
सूर्य को अर्घ्य (Sandhya Arghya) देने के नियम
– संध्या अर्घ्य देते समय मुख पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए।
– सूर्य को जल अर्घ्य देते समय दोनों हाथ सिर के ऊपर रखने चाहिए।
– जल में रोली, चंदन या लाल फूल मिलाना शुभ माना जाता है।
– अर्घ्य देने के बाद सूर्य नमस्कार करें या तीन परिक्रमा करनी चाहिए।
– जल को पैरों में गिरने से बचाएं, किसी गमले में या धरती पर विसर्जित करें।









