सनातन परंपरा में संकटमोचक श्री हनुमान जी (Hanuman) की साधना सभी संकटों को दूर करके सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान दिलाने वाली मानी गई है। शक्ति के पुंज माने जाने वाले बजरंगबली (Bajrangbali) एक ऐसे देवता है, जिनकी उपासना आप कभी भी कहीं भी कर सकते हैं, लेकिन उनकी पूजा मंगलवार के दिन अत्यंत ही फलदायी मानी गई है।
यह मंगलवार भी तब और भी ज्यादा पुण्यदायी हो जाता है, जब यह ज्येष्ठ मास में पड़ता है और बड़ा मंगल (bada mangal) कहलाता है। आज बल, बुद्धि और विद्या के सागर श्री हनुमान जी (Hanuman)की पूजा से जुड़ा तीसरा बड़ा मंगल (Bada Mangal) का पर्व मनाया जा रहा है। आइए अष्ट सिद्धि के दाता श्री हनुमान जी की पूजा का धार्मिक महत्व और सरल उपाय के बारे में जानते हैं।
हनुमान जी (Hanuman) की पूजा का धार्मिक महत्व
रुद्रावतार श्री हनुमान जी (Hanuman) कलयुग में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देवता है। जिनकी साधना अत्यंत ही सरल और शीघ्र फलदायी मानी गई है। पौराणिक मान्यता के अनुसार हनुमान जी को चिरंजीवी माना गया है, जो कि हर युग में मौजूद रहते हैं और सच्चे मन से सुमिरन करने पर मदद के लिए दौड़े चले आते हैं।
मान्यता है कि हनुमान जी की साधना करने वाले साधक के जीवन में सपने में भी कोई भूत, बाधा या भय नहीं फटकता है और उसे जीवन से जुड़े सभी सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हनुमान जी के साधक को जीवन में कभी भी ज्ञात-अज्ञात शत्रु का भय नहीं सताता है और वह सुख-शांति के साथ जीवन जीता हुआ अंत में बैकुंठ लोक को प्राप्त होता है।
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बड़े से बड़े संकट को चुटकियों से दूर करने वाले श्री हनुमान जी (Hanuman) के तमाम स्वरूपों की पूजा का अपना अलग-अलग महत्व है। जैसे बाल हनुमान की पूजा करने पर छोटे बच्चों के मन में समाया हुआ किसी भी प्रकार भय दूर होता है। पहाड़ उठाए हुए हनुमान जी की पूजा करने पर बड़ी से बड़ी बाधा दूर होती है। ध्यान मुद्रा में बैठे हुए हनुमान जी की पूजा से आत्मिक शांति की अनुभूति होती है।
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इसी प्रकार पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने पर साधक को सुख, शांति, शक्ति, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में जीवन से जुड़ी तमाम परेशानियों से पार पाने और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता पाने के लिए आज पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति पर लाल रंग के पुष्प की माला चढ़ाएं और उनके सामने शुद्ध घी का दीया जलाकर शुद्ध घी से बना ही प्रसाद चढ़ाएं। इसके बाद बजरंगी के गुणों का गुणगान करने वाला श्रीसुंदरकांड का पाठ करें।