तिल चौथ व्रत आज 15 फ़रवरी को है. इसे तिल संकटा चौथ व्रत भी कहते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने प्रसन्न होकर गणेश जी को आशीर्वाद देते हुए कहा था जो भी इस दिन व्रत करेगा उसके सभी संकट दूर हो जाएंगे.
तिल संकटा चौथ पर ही भगवान गणेश ने देवी-देवताओं की मदद करके उनके संकट दूर किए थे तबसे यह दिन संकट चौथ के नाम से विख्यात हुआ. इस व्रत में भालचंद्र गणेश की पूजा षोड्शोपचार विधि से की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास की चतुर्थी तिथि को तिल संकटा चौथ का व्रत रखा जाता है.
आइए जानें तिल चौथ का मन्त्र और व्रत की विधि…
तिल चौथ का मन्त्र :
गजाननं भूत गणादि सेवितं,कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥
तिल चौथ पूजा विधि:
तिल चौथ व्रत के दिन प्रातः सुबह नित्य क्रम से निवृत होकर षोड्शोपचार विधि से भालचंद्र गणेश भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिए. इसके बाद ये मंत्र- गजाननं भूत गणादि सेवितं,कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।, उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ पढ़ना चाहिए. इसके बाद भालचंद्र गणेश का ध्यान करके उनके चरणों में फूल अर्पित करें और भगवान के शुभ नाम का जाप करें. शाम को सूर्य अस्त होने के पश्चात नहा धोकर साफ कपड़े पहनकर गणेश भगवान की पूजा करें. इसके लिए एक पीतल के कलश में जल भर कर रखें. धूप-दीप अर्पित करें. नैवेद्य में तिलकुट्टा, तिल तथा गुड़ के बने हुए लड्डु, ईख, शकरकंद, गुड़ तथा घी चढ़ाएं. तिल चौथ की कथा सुनें, चांद को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें. भक्त पहले तिलकुट्टा खाएं इसके बाद ही भोजन लें