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आज रखा जाएगा जितिया व्रत, जानें पूजा-विधि

Jivitputrika

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हिंदू धर्म में जितिया व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। इस व्रत में महिलाएं संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत को जिउतिया, जितिया, जीवित्पुत्रिका, जीमूतवाहन व्रत नाम से भी जाना जाता है और यह व्रत तीन दिन तक चलता है।

हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष से इस व्रत की शुरुआत हो जाती है और व्रत का समापन आश्निन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी पर होता है। जीवित्पुत्रिका व्रत संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु की कामना के साथ किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान के सभी कष्ट दूर होते हैं।

जितिया व्रत डेट

जितिया व्रत की शुरुआत नहाय खाए से होती है। इस साल 28 सितंबर को नहाए खाए होगा। 29 सितंबर को निर्जला व्रत रखा जाएगा और 30 सितंबर को व्रत का पारण किया जाएगा।

जितिया व्रत पूजा- विधि-

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें

स्नान आदि करने के बाद सूर्य नारायण की प्रतिमा को स्नान कराएं।

धूप, दीप आदि से आरती करें और इसके बाद भोग लगाएं।

मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाएं।

कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें।

विधि- विधान से पूजा करें और व्रत की कथा अवश्य सुनें।

व्रत पारण के बाद दान जरूर करें।

जितिया व्रत शुभ मुहूर्त 2021-

जितिया व्रत- 29 सितंबर 2021

अष्टमी तिथि प्रारंभ- 28 सितंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट से

अष्टमी तिथि समाप्त- 29 सितंबर की रात 8 बजकर 29 मिनट से।

इन बातों का रखें ध्यान-

इस व्रत को रखने से पहले नोनी का साग खाने की भी परंपरा है। कहते हैं कि नोनी के साग में कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्रा में होता है। जिसके कारण व्रती के शरीर को पोषक तत्वों की कमी नहीं होती है।

इस व्रत के पारण के बाद महिलाएं जितिया का लाल रंग का धागा गले में पहनती हैं। व्रती महिलाएं जितिया का लॉकेट भी धारण करती हैं।

पूजा के दौरान सरसों का तेल और खल चढ़ाया जाता है। व्रत पारण के बाद यह तेल बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के तौर पर लगाते हैं।

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