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आज संकष्टी चतुर्थी पर इस विधि से करें गणपती की पूजा, दूर होंगी सभी बाधाएं

Sankashti Chaturthi

Sankashti Chaturthi

भगवान गणेश को ज्ञान और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। संकष्टी का मतलब कठिनाइयों से मुक्ति होता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश भक्तों की समस्याओं को कम करते हैं और बाधाओं को दूर करते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है। इस बार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी 23 नवंबर (मंगलवार) को पड़ रही है। इस दिन, भक्त सुखी जीवन के लिए आशीर्वाद लेने के लिए भगवान गणेश की पूजा करते हैं। साथ ही, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश का नाम सभी देवताओं से श्रेष्ठ रखा था।

संकष्टी चतुर्थी तिथि और शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी आरंभ- 22 नवंबर 2021 (सोमवार) रात 10 बजकर 26 मिनट से

मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी समापन- 24 नवंबर 2021 (बुधवार) रात 12 बजकर 55 मिनट तक

चंद्रोदय का समय- 23 नवंबर (मंगलवार) रात 8 बजकर 27 मिनट पर

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी का संस्कृत अर्थ संकट हारा या बाधाओं और प्रतिकूल समय से मुक्ति है। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए संकष्टी चतुर्थी को सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश को सभी देवताओं में श्रेष्ठ घोषित किया था। भगवान गणेश की पूजा किसी भी अनुष्ठान की शुरुआत, या एक नए उद्यम की शुरुआत से पहले की जाती है। उन्हें ज्ञान के देवता के रूप में भी पूजा जाता है और लोकप्रिय रूप से विघ्नहर्ता (सभी बाधाओं को दूर करने वाले) के रूप में जाना जाता है।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

-सुबह जल्दी उठकर गणेश जी को जल चढ़ाकर उनकी पूजा करें।

-दिन भर का व्रत रखें क्योंकि ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

-दिन में किसी भी रूप में चावल, गेहूं और दाल का सेवन करने से बचें।

-शाम के समय दूर्वा घास, फूल, अगरबत्ती और दीया से भगवान गणेश की पूजा करें।

-पूरी पूजा विधि का पालन करते हुए गणेश मंत्रों का जाप करें।

-गणपति बप्पा को मोदक और लड्डू का भोग लगाएं जो उन्हें सबसे ज्यादा पसंद हैं।

-चांद निकलने से पहले गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ किया जाता है।

-चंद्रोदय के बाद व्रत तोड़ें। चंद्रमा का दिखना बहुत ही शुभ होता है। इसलिए जब चंद्रमा दिखाई दे तो अर्घ्य दें।

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