कानपुर| ‘द इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आफ इंडिया’ अब गलत प्रैक्टिस और आर्थिक अनियमितताओं में लिप्त चार्टर्ड एकाउंटेंट के खिलाफ सख्त हो गया है। उत्तर प्रदेश के 126 चार्टर्ड एकाउंटेंट विभिन्न जांचों में फंसे हैं। इनमें से कई के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक, जांच और कार्रवाई की जद में आए इन चार्टर्ड एकाउंटेंट पर बैंक एनपीए, विलफुल डिफाल्टर, गलत आडिट और सीए एक्ट के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप हैं। अभी देश में 1967 सीए के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं की जांच चल रही है। इनमें यूपी के 126 सीए शामिल हैं। उनमें से 82 के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है। 37 पर दोष साबित हो चुका है।
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29 चार्टर्ड एकाउंटेंट को डिग्री छीनने, प्रैक्टिस के लिए अयोग्य घोषित करने जैसे दंड दिए गए हैं। गौरतलब है कि इस वर्ष जनवरी में अरबों रुपए के पॉवर कारापोरेशन के पीएफ घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने सीए ललित गोयल, ईशांत अग्रवाल और मनोज गोयल को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि इन्होंने फर्जी ब्रोकर फर्म बनवाई और डमी कंपनियों के जरिए कमीशन की रकम को सफेद किया।
वित्तीय सेवाओं से जुड़े प्रोफेशनल्स पर निगरानी के लिए नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए) का गठन किया गया है। नए रेगुलेटर के पास सिविल कोर्ट जैसी शक्तियां हैं। वह समन के साथ ही जांच आदेश और दंड दे सकता है। जुर्माना ठोंक सकता है। छह महीने से दस साल तक प्रैक्टिस पर रोक भी लगा सकता है। उसके निर्णय को चुनौती के लिए एक अपीलीय अथॉरिटी भी है।