उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस वे पर सड़क दुर्घटनाओं की बढती संख्या पर गंभीर रूख अपनाते हुये योगी सरकार ने एक्सप्रेस वे के किनारे ट्रामा सेंटर स्थापित करने का फैसला लिया है।
अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने शनिवार को कहा कि सड़क दुर्घटना होने पर घायल व्यक्ति को अपनी गाड़ी में बैठाकर गोल्डन आवर के अन्दर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करायें। सीटबेल्ट हमारे लिए रामबाण है। वाहन में आगे व पीछे बैठे सभी व्यक्तियों को सीटबेल्ट अवश्य लगाना चाहिए। उन्होंने गुड सेमेरिटन का विशेष स्वागत करते हुए कहा कि अगर हर व्यक्ति में आपके गुण आ सकें तो हम मृत्यु दर में भारी कमी ला सकते हैं। उन्होंने आमलोगों से आह्वाहन करते हुए कहा कि वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें।
इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह के समापन समारोह में एनआईसी द्वारा आईआईटी चेन्नई के सहयोग से बनाया गया एप को लांच किया गया। उत्तर प्रदेश के 16 लाइट जिलों में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में इस एप को लांच कर दिया गया है तथा शीघ्र ही प्रदेश के अन्य जिलों में भी लागू कर दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि एक्सप्रेस-वे के किनारे जल्द ही ट्रामा सेंटर की स्थापना के लिए प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा है। ट्रामा सेंटर बनने से गोल्डन आवर में घायल व्यक्ति को इलाज मिलेगा और उसकी जान भी बच सकेगी। उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिन पहले परिवहन विभाग के चालकों के आंखों की जांच हुई। उनमें लगभग 500 चालकाें की आंखों की रौशनी या तो कम पाई गई या फिर उनमें कलर पहचानने की क्षमता कम पाई गई। परिवहन विभाग एक योजना बनाकर प्रदेश के सभी ड्राईविंग लाइसेंस धारकों की आॅंखों की जांच कराये।
इस अवसर पर परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव आरके सिंह ने कहा कि इस साल सड़क दुर्घटना में कमी आई हैं, जो सभी के प्रयासों से हासिल हुई है। यदि हम जीवन को बचाने के लिए कोई योजना बनाते हैं तो उसमें जो भी खर्च लगे वो कम है क्योंकि हमारा जीवन अमूल्य है। हमारा समय तो बहुमूल्य परन्तु जीवन अमूल्य है, इसलिए हमें ओवरस्पीडिंग नहीं करनी चाहिए, ना ही दूसरों को ओवर स्पीडिंग करने के लिए प्रेरित करें।
परिवहन आयुक्त धीरज साहू ने बताया कि 37 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं ओवर स्पीडिंग की वजह से होती है। इसी तरह मोबाइल फोन पर बात करने में दुर्घटनायें 12 प्रतिशत होती हैं। गलत दिशा में गाड़ी चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं का प्रतिशत लगभग 11 है। गाड़ी चलाते समय जिन चालकों द्वारा जानबूझकर इस ढंग से वहन चलाया जाता है कि जिससे सड़क दुर्घटना में किसी की मृत्यु हो जाये ऐसी दशा में उसके विरूद्ध पुलिस विभाग द्वारा आई.पी.सी. की धारा 304 भाग-2 के अन्तर्गत मुकदमा पंजीकृत कर कार्यवाही की जाएगी जिसके अन्तर्गत दस साल के कारावास का भी प्राविधान है।