नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसानों के धरना-प्रदर्शन का आज 25वां दिन है। इस आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए जगह-जगह रविवार को श्रद्धांजलि-सभा का आयोजन किया जा रहा है। देश में रविवार को गुरु तेग बहादुर का शहीदी दिवस मनाया जा रहा है। वह सिखों के नौवें गुरु थे।
भारतीय किसान यूनयिन किसान (भाकियू) से जुड़े पंजाब के किसान नेता गुरविंदर सिंह ने कहा कि अपने हकों के लिए किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को भी आज श्रद्धांजलि दी जा रही है। उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा समेत देश के अन्य प्रांतों में भी श्रद्धांजलि-सभा का आयोजन किया जा रहा है।
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पंजाब में ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी मेजर सिंह पुनावाल दिल्ली में आयोजित एक श्रद्धांजलि-सभा में पहुंचे। पुनावाल ने बताया कि तीनों नये कानूनों का अध्यादेश जून में आने के बाद से किसान इसका विरोध कर रहे हैं। इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान पूरे देश में अब तक जितने किसान शहीद हुए हैं। उनकी याद में आज पूरे देश में श्रद्धांजलि-सभा आयोजित कर उनको श्रद्धांजलि दी जा रही है।
पुनावाल ने बताया कि आज दोपहर बाद किसान संगठनों की सिंघु बॉर्डर पर फिर एक बैठक होगी। जिसमें आंदोलन के आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जाएगा। सरकार से बातचीत को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘हम सरकार से बातचीत के लिए हमेशा तैयार है बशर्ते सरकार हमें यह बताएं कि वह तीनों कानूनों को वापस लेने पर विचार करेगी।
संसद के मानसून सत्र में कृषि से जुड़े तीनों अध्यादेशों से संबंधित तीन अहम विधेयकों संसद में पेश किए गए। दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के बाद इन्हें कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 के रूप सितंबर में लागू किए गए।
दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे किसान संगठन इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहा है, जबकि सरकार इनमें किसानों के हितों से जुड़े मुद्दों को शामिल कर संशोधन का प्रस्ताव दे चुकी है।
इस बीच 17 दिसंबर को केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के नाम एक पत्र लिखकर इन कानूनों से किसानों को होने वाले फायदे का जिक्र करते हुए विपक्षी दलों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। इन पत्र के जवाब में प्रदर्शनकारी किसानों की ओर से कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री तोमर के नाम एक पत्र लिखा गया जिसमें सरकार द्वारा लगाए गए तमाम आरोपों का जवाब दिया गया है।