अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने सत्ता संभालने के बाद कई कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए हैं। इसी बीच अब राष्ट्रपति ट्रंप ने गुरुवार को अमेरिका के शिक्षा विभाग (US Education Department) को खत्म करने के मकसद से एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। इससे पहले भी ट्रंप इस विभाग की आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने पिछले महीने ही इस विभाग को “बड़ी धोखाधड़ी” करार दिया था।
ट्रंप (Trump) ने फरवरी के महीने में भी एजेंसी को बंद करने की अपनी इच्छा दोहराई थी और संघीय शिक्षा विभाग को तत्काल बंद करने के लिए कहा था। अब इसी के चलते उन्होंने कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। कथित तौर पर डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल में इसे बंद करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन कांग्रेस ने कार्रवाई नहीं की थी, लेकिन इस बार अब अपने दूसरे टर्म में ट्रंप ने अपने विचार को लेकर कदम उठा लिया है।
क्या हशिक्षा विभाग?
रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा विभाग, शैक्षिक सहायता के लिए मदद करता है। इस विभाग में 4,200 से अधिक लोग काम करते हैं और इसका बजट हाल के वर्ष में कुल 251 बिलियन डॉलर था जोकि भारत के 20,83,300 करोड़ रुपये के बराबर है। राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले ही सुझाव दिया था कि वो एक कार्यकारी आदेश के जरिए से विभाग को बंद करना चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात को भी माना है कि उनके लिए बिना कांग्रेस और टीचर्स यूनियन के समर्थन के इस मकसद को पूरा करना आसान नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा विभाग को बंद करने के कुछ नतीजे भी सामने आएंगे। जिससे संभावित रूप से K-12 स्कूलों और कॉलेज ट्यूशन सहायता कार्यक्रमों के लिए अरबों डॉलर की फंडिंग बाधित होगी।
शिक्षा विभाग एक बड़ा धोखा : ट्रंप (Trump)
डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने अमेरिका के शिक्षा विभाग पर बात करते हुए रिपोर्टर्स से कहा था कि शिक्षा विभाग एक बड़ा धोखा है। इससे पहले भी लंबे समय से ट्रंप इस विभाग की आलोचना करते आए हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि शिक्षा सचिव के लिए उन्होंने लिंडा मैकमोहन को नामित किया था और उन्हें विभाग को बंद करने की देखरेख करने का काम सौंपा गया था।
यह दूसरी बार है जब डोनाल्ड ट्रंप ने शिक्षा विभाग को समाप्त करने का प्रस्ताव सामने रखा है। इससे पहले उन्होंने जब पहली बार सत्ता हासिल की थी तो साल 2017 से 2021 तक अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी इस मुद्दे को उठाया था। हालांकि, कांग्रेस ने उनके पिछले प्रस्तावों पर कार्रवाई नहीं की थी।