नई दिल्ली। अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों ने गुरुवार को जो बाइडन और कमला हैरिस की जीत पर अपनी मुहर लगा दी है। अब 20 जनवरी को जो बाइडन देश के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगे। निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों के हंगामे के बीच पहली बार अपनी हार स्वीकार करते हुए सत्ता के व्यवस्थित हस्तांतरण की बात कही है।
कांग्रेस के संयुक्त सत्र ने तीन नवंबर को हुए चुनाव में राष्ट्रपति पद पर जो बाइडन व उपराष्ट्रपति पद पर कमला हैरिस को मिली जीत को सत्यापित कर दिया है। इसके बाद अपनी हार मानते हुए ट्रंप ने कहा कि 20 जनवरी को जो बाइडन को सत्ता का ‘व्यवस्थित’ हस्तांतरण किया जाएगा। बता दें कि यह पहली बार है जब ट्रंप ने अपनी हार को स्वीकार किया है। अब तक वे चुनावों में धांधली का आरोप लगाते हुए नतीजों को पलटने की कोशिश कर रहे थे।
निर्वाचन का सत्यापन कांग्रेस के संयुक्त सत्र में गुरुवार तड़के किया गया। निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सैकड़ों समर्थकों द्वारा कांग्रेस की कार्यवाही बाधित किए जाने के बाद बुधवार देर रात संयुक्त सत्र की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई। निर्वाचन मंडल के मतों की पुष्टि कैपिटल हिल पर हिंसा की घटना के बाद आई है जिसमें चार लोगों की मौत हुई है। जिसके बाद इलाके में लॉकडाउन लगाना पड़ा है।
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इस हिंसा में सुरक्षाकर्मियों के लिए अपनी जान बचाकर भागने की नौबत आ गई। कैपिटल परिसर के भीतर गोलीबारी की घटना हुई। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति चुनाव में बाइडन करीब आठ करोड़ मतों के साथ निर्वाचन मंडल के 306 मतों को हासिल करने में सफल हुए थे।
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संसद में दो घंटे तक चली सत्यापान की कार्यवाही का सांसदों ने पार्टी लाइन से हटकर समर्थन किया। यहां तक कि उन्होंने दो राज्यों- एरिजोना एवं पेंसिल्वेनिया में निर्वाचन संबंधी आपत्तियों को भी खारिज कर दिया। सीनेट ने छह मतों के मुकाबले 93 मतों से एरिजोना के चुनाव नतीजों पर आपत्ति को अस्वीकार किया, जबकि प्रतिनिधि सभा ने इसे 121 के मुकाबले 303 मतों से खारिज किया।
Congress accepts Electoral College result, which clears the way for Joe Biden (in file photo) to become president of the United States: Reuters pic.twitter.com/ZkppTthSbr
— ANI (@ANI) January 7, 2021
इसी प्रकार सीनेट ने पेंसिल्वेनिया के चुनाव नतीजों पर आपत्ति को सात के मुकाबले 97 मतों से अस्वीकार किया, जबकि प्रतिनिधि सभा में आपत्ति 138 के मुकाबले 282 मतों से नामंजूर हुई। भारतीय मूल के चार सांसदों- रो खन्ना, एमी बेरा, राजा कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाला ने आपत्ति के खिलाफ मत दिया।