नई दिल्ली। अयोध्या में बाबरी मस्जिद की जगह वैकल्पिक मस्जिद के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश केंद्रीय सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा गठित ट्रस्ट इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) ने अपना आधिकारिक लोगो जारी कर दिया है।
इस लोगो में दिल्ली स्थित हुमायूं के मकबरे की झलक देखने को मिलती है। मस्जिद के निर्माण कार्य, व्यवस्था या फिर किसी अन्य आधिकारिक काम के लिए अब इसी लोगो का इस्तेमाल किया जाएगा।
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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, अयोध्या के बाहरी क्षेत्र में मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ ज़मीन दी गई है। यहां पर मस्जिद बनाने और उसका संचालन करने के लिए इस संगठन को बनाया गया है। जो नया लोगो बनाया गया है उसे अरबी भाषा के प्रतीकों में एक अध्याय के अंत के तौर पर देखा जाता है।
क्या है इस लोगो की खासियत
फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने बताया कि, यह एक ऑक्टाग्राम के आकार का एक इस्लामी प्रतीक है। इसका इंडो इस्लामिक आर्किटेक्चर में इसका इस्तेमाल रहा है। इसकी मिसालिया बिल्डिंग दिल्ली का हुमायूं का मकबरा है। इसका इस्तेमाल वहां जाली के रुप में है। कुरान के चैप्टरों की समाप्ति पर भी इस आकृति का इस्तेमाल है। अरबी में इसे द रूब अल हिज्ब कहा जाता है। इसे इस्लामिक झंडे पर भी प्रयोग किया जाता है। अरबी में, रूब का अर्थ है एक चौथाई जबकि हिज्ब का मतलब एक समूह या पार्टी है।
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बीते दिनों इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने कहा था कि ट्रस्ट का गठन 19 जुलाई को हुआ, उसके बाद कई वर्चुअल मीटिंग्स हो चुकी हैं। लेकिन कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण मुख्य तौर पर कामकाज आगे नहीं बढ़ पाया है। साथ ही अभी ट्रस्ट का ऑफिस बनना है, साथ ही ट्रस्ट के नाम से कई कागज़ी कामों का भी होना बाकी है।
इस ट्रस्ट में भी 15 लोग होंगे, जिनमें से 9 को नामित किया जा चुका है। जबकि बाकी 6 के नाम आने बाकी हैं, बीते दिनों ही ऐलान किया गया था कि यहां पर बनने वाली मस्जिद का नाम बाबर के नाम पर नहीं होगा।