सियाराम पांडे ‘शांत’
अवंती बाई लोधी के बलिदान दिवस पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं । रानी अवंती बाई लोधी, उदा देवी और झलकारी बाई के नाम पर उत्तर प्रदेश की तीन पीएसी बटालियन स्थापित की। इससे जहां देश भर में नारी सशक्तीकरण की उनकी मुहिम को मजबूती मिली, वहीं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से ठीक पहले उन्होंने अति पिछड़ा वर्ग के वोटों पर अपना वर्चस्व जमाने की भी कोशिश की है। निश्चित तौर पर इसका लाभ उन्हें वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा। अवंती बाई लोधी अगर राज्य में रह रहे लोधी राजपूतों में बेहद आदरणीय हैं तो उदा देवी पासी यानी राजभर समाज की आदर्श हैं जबकि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मदद करने वाली परम क्रांतिकारी झलकारी बाई बुंदेलखंड की महिलाओं एवं पुरुषों की आदर्श हैं। इस लिहाज से देखें तो इन तीनों वीरांगनाओं को सम्मान देकर योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड, पूर्वांचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को एक साथ साधने का प्रयास किया है।
लोधी राजपूतों की की आबादी मुख्यत: दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश , राजस्थान के भरतपुर एवं मध्य प्रदेश से सटे हुए जिलों, गुजरात के राजकोट और अहमदाबाद जिले, महाराष्ट्र, बिहार, उड़ीसा और बंगाल के मिदनापुर जिले में निवास करती है। 1931 की जनगणना के अनुसार भारत में इनकी जनसंख्या 17,42,470 थी जो अब बढ़कर 9 करोड़ हो गई है। विलियम क्रुक की पुस्तक ‘दी ट्राइव एण्ड कास्ट्स ऑफ दी नार्थ-वैस्टर्न इण्डिया’ में लिखा है कि लोधी पूरे मध्य प्रान्त में फैले हुए हैं और ये बुंदेलखण्ड से यहां आए हैं। पश्चिम बंगाल में फिलहाल विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में लोधों का वोट वहां किसी दूसरे के हाथ में तो जाना नहीं है। यही हाल पासी समाज की है।
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उत्तर भारत में निवास करने वाले ये लोग विमुक्त जाति कहलाते हैं और कुछ राज्यों में इन्हें अनुसूचित जाति के अंतर्गत रखा गया है। पासी का मतलब परंपरागत रूप से पेशा ताड़ी दोहन से है। पासी गुर्जर, कैथवास और बोरिया में विभाजित हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना राज्य में उन्हें ओबीसी का दर्जा प्राप्त है। इस जाति के लोग मुख्यत: उत्तर प्रदेश के सभी जिलों और बिहार में निवास करते हैं। भारत के अन्य प्रदेशों में पासी जाति को पासी, बौरासी,राजपासी, सरोज, रावत, बहोरिया, कैथवास, ताड़मालि, मोठी इत्यादि नाम से जाना जाता है। इनकी भाषा हिंदी ,मराठी, पंजाबी और भोजपुरी है । पासी समुदाय के उल्लेखनीय लोगों में बिजली पासी, सुहेलदेव, गंगा बक्स रावत और ऊदा देवी प्रमुख हैं। बेड़िया जनजाति उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में रहती है। बेड़िया जनजाति सर्वप्रथम बिहार झारखण्ड और पश्चिम बंगाल के कुछ राज्यों में पाई जाती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पश्चिम बंगाल में भाजपा के स्टार प्रचारक भी हैं।
गोपीचंद और भक्त पूरनमल जैसे योगी बंगाल की धरती से ही निकले हैं। इस लिहाज से भी देखा जाए तो ममता बनर्जी को चुनावी शिकस्त देने में भी तीनों वीरांगनाओं को सम्मान देने का जो ट्रंप कार्ड योगी आदित्यनाथ ने खेला है, उससे उनके दोनों हाथों में लड्डू आ गए हैं। महिलाओं के नाम पर पीएएसी की बटालियन स्थापित कर उन्होंने उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश भर की महिलाओं का दिल जीतने की कोशिश की है। हालांकि इन तीनों वीरांगनाओं के नाम पर लखनऊ, बदायूं और गोरखपुर में पीएसी की बटालियन बनाने की घोषणा तो उन्होंने वर्ष 2020 में ही कर दी थी। गोरखपुर में पुलिस ट्रेनिंग स्कूल एवं प्रदेश की पहली पीएसी महिला बटालियन के परिसर की नींव रखते हुए उन्होंने कहा था कि पीएसी की यह बटालियन महिला सशक्तीकरण की दिशा में अहम कदम है। इससे प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक बेहतर माहौल बनेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि 25 साल से गोरखपुर का पुलिस ट्रेनिंग स्कूल को जमीन नहीं मिल रही थी कि वह अपना प्रशिक्षण संस्थान खोल सकें। अपने संभाषणों में विपक्ष को दिन में तारे दिखाना वे कभी नहीं भूलते। उन्होंने कहा था कि पिछली सरकारों ने देश की सुरक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ किया था। 2017 में जब भाजपा सत्ता में आई थी तब करीब डेढ़ लाख पद खाली पड़े थे। हमारी सरकार ने इन भर्तियों को स्ट्रीम लाइन किया गया। पुलिस प्रशिक्षण क्षमता को 6 हजार से बढ़ाकर 12 हजार किया गया। उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में पहली बार पुलिस के रिक्रूट की ट्रेनिंग के लिए बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, एसएसबी और अन्य राज्यों के ट्रेनिंग केंद्रों की सहायता ली गई । कई जनपदों में पुलिस लाइन नहीं थे ।बिना पुलिस लाइन का जनपद, बिना संविधान के देश की तरह होता है। हमने उन सभी जिलों में पुलिस लाइन के लिए जमीन खरीदने के साथ ही परिसर निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृत कर दी है।
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कुछ जनपदों में पुलिस लाइन बनाने का काम शुरू हो गया है। हर पुलिस लाइन में 300 पुरुष और 50 से ज्यादा महिला कांस्टेबलों के लिए अलग बैरक की व्यवस्था की गई है। यह और बात है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में 25 मार्च 2016 को प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पण्डा ने कहा था कि पुलिस के साथ अब पीएसी में भी महिलाओं की भर्ती की जाएगी। पीएसी में महिलाओं की अलग बटालियन बनाई जाएगी। सिपाही पद पर भर्ती के लिए सूबे से पांच लाख से ज्यादा महिलाओं ने आवेदन भी किया था । महिलाओं के फोर्स में आने के उत्साह को देखते हुए शासन स्तर पर महिलाओं की एक अलग बटालियन तैयार करने पर सहमति बनी थी। यह बात दीगर है कि अखिलेश राज में इस कार्ययोजना पर अमल नहीं हो सका था।
कुछ सालों में महिलाओं के प्रदर्शन, धार्मिक आयोजनों व अन्य कार्यक्रमों के दौरान पीएसी में महिला कर्मियों की कमी काफी अखरती रही है। वर्ष 1940 में पीएसी के गठन के बाद से वर्ष 2017 तक महिलाओं की भर्ती नहीं की गई। प्राकृतिक आपदा, धार्मिक आयोजन, प्रदर्शन में महिलाओं को संभालने के लिए पीएसी में महिलाओं की भर्ती की जरूरत पड़ रही थी।
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इसके विपरीत नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में वर्ष 2019 में पहली बार, भारतीय सेना ने महिला सैन्य पुलिस के लिए जनरल ड्यूटी (महिला सैन्य पुलिस) के 100 पदों पर भर्ती निकाली थी। महिलाओं को फ्लाइट उड़ाने तथा सीमा की चौकियों पर तैनात करने, समुद्री युद्धपोत पर तैनात कर सरकार ने नारी समाज के हौंसले को मजबूती ही दी थी। कश्मीर में भारत—पाक सीमा के बेहद नजदीक साधना टॉप पर भारतीय सेना की असम राइफल्स की महिला जवानों ने मोर्चा संभाला हुआ है। इस पोस्ट को आतंकी घुसपैठ के साथ साथ हथियार और ड्रग्स की तस्करी की वजह से काफी संवेदनशील माना जाता है । भारतीय सेना के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत—पाक सीमा के करीब,महिला सैनिकों की तैनाती की गई है। योगी सरकार द्वारा जिन तीन महिला बटालियनों की स्थापना की जा रही है, उनमें हर एक बटालियन में 1,262 पदों पर तैनाती की जाएगी। लखनऊ की महिला बटालियन को सेंट्रल यूपी और बदायूं की बटालियन को पश्चिमी यूपी में लगाया जाएगा।
चुनावी वर्ष में योगी सरकार ने महिला पीएसी बटालियन के गठन और उनके नामकरण के जरिए भाजपा समर्थक मतदाताओं को संदेश देने की भी कोशिश की है। लखनऊ और आसपास के जिलों में दलित जाति की पासी उपजाति के मतदाताओं की संख्या काफी है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पासी जाति ने भाजपा को एकतरफा समर्थन दिया था। वहीं दूसरी ओर रुहेलखंड में लोधी जाति भाजपा की समर्थक मानी जाती है। लोधी समाज में वीरांगना अवंतीबाई का सम्मानीय स्थान है। इनके नाम पर भी बदायूं में गठित होने वाली महिला पीएसी बटालियन के नामकरण का निर्णय लिया गया है। शासन ने इन बटालियन की स्थापना और नाम का आदेश जारी कर दिया है। लेकिन सवाल यह है कि रानी दुर्गावती, कित्तूर की रानी चेनम्मा और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, बेग़म हज़रत महल, दुर्गाभाभी जैसी वीरांगनाओं की उपेक्षा क्यों की जी रही है। बटालियन तो उनके नाम पर भी बननी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि रानी लक्ष्मी बाई, अवंती बाई लोधी, उदा देवी और झलकारी बाई ने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर हम सबको भारत की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखने की प्रेरणा प्रदान कर की। इन महान वीरांगनाओं से प्रेरित होकर उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में मातृशक्ति की सुरक्षा सम्मान और स्वावलंबन के लिए एक विशेष कार्यक्रम मिशन शक्ति के रूप में प्रारंभ किया है। इसी मिशन शक्ति के तहत उत्तर प्रदेश पुलिस में 20 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। प्रदेश के 1,535 थानों, 350 तहसीलों में महिला सुरक्षा को लेकर हेल्प डेस्क स्थापित की गई है। महिलाओं से सम्बन्धित साइबर अपराध के लिए हर स्तर पर भी साइबर सेल की स्थापना की गई है। हर मंडल में महिलाओं के खिलाफ होने वाले साइबर अपराध की सुनवाई के लिए पुलिस महानिरीक्षक को जिम्मेदारी दी गई है। हर जिले में कम से कम पांच महिला पुलिस की रिपोर्टिंग चौकी स्थापित करने की सरकार की कोशिश है।
रही बात किसी वीरांगना के नाम पर महिला बटालियन के गठन की तो यह काम वर्ष 2017 में राजस्थान में हो चुका है। वहां 16वीं शताब्दी की वीरांगना हाड़ा रानी के नाम पर एक पुलिस बटालियन की स्थापना की गई थी। कुल मिलाकर महिलाओं को सम्मान देने, उन्हें मजबूती देने के लिहाज से योगी आदित्यनाथ सरकार का यह प्रयास अनूठा है, इसकी जितनी भी सराहना की जाए, कम है। महिलाओं को सम्मान देने और उन्हें आगे बढ़ाने का एक भी मौका नहीं चूकना चाहिए। महिलाएं ही अगर आत्मनिर्भर नहीं हुईं तो यह देश आत्मनिर्भर कैसे होगा, इस बिंदु पर भी विचार किया जाना चाहिए।