लखनऊ। एटीएस की विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पूर्णिमा सागर ने कूटरचित दस्तावेजों के सहारे भारतीय पासपोर्ट हासिल करने के एक मामले में दो बांग्लादेशियों को दोषसिद्ध करार दिया है।
कोर्ट ने दोनों दोषियों को चार-चार साल कारावास की सजा सुनाई है। दोषियों के नाम जहीर और युसुफ हैं। कोर्ट ने इन दोनों पर अलग-अलग साढे पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
एटीएस ने वर्ष 2017 में जहीर उर्फ इस्लाम और युसुफ अली उर्फ नजरुल को गिरफ्तार किया था। जहीर बांग्लादेश के बारीसाल जिला जबकि युसुफ बारीसाल के मध्यम चारबरिया गांव का रहने वाला है। खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के बाद दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया था। अभियुक्तों की निशानदेही पर कुछ अन्य बंग्लादेशियों को भी एटीएस ने गिरफ्तार किया था।
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विवेचना के बाद एटीएस ने अभियुक्त जहीर और युसुफ के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471 और 120बी के साथ ही विदेशी अधिनियम की धारा 14 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था। अभियुक्तों की ओर से बचाव में दलील दी गई कि अभियुक्त पढे-लिखे नहीं हैं और कूटरचना की उन्हें जानकारी नहीं थी।
एटीएस ने मामले में मुख्य साजिशकर्ताओं को गिरफ्तार कर सारा आरोप उन्हीं पर मढ़ दिया है। हालांकि कोर्ट बचाव पक्ष की उक्त दलीलों से सहमत नहीं हुई और दोनों को दोष करार दिया।