डायबिटीज (Diabetes) एक गंभीर और पुरानी बीमारी है जिसका कोई स्थायी इलाज नहीं है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी को एक बार डायबिटीज की बीमारी हो गई है, तो वो उसका जीवनभर पीछा नहीं छोड़ती है। खराब जीवनशैली के चलते आज के समय में डायबिटीज काफी कॉमन बीमारी हो गई है। दुनिया में डायबिटीज से पीड़ित हर पांचवा व्यक्ति भारतीय है। डायबिटीज की बीमारी तब होती है जब अग्न्याशय इंसुलिन बनाने में सक्षम नहीं होता है, या जब शरीर इंसुलिन का अच्छा उपयोग नहीं कर पाता है। इंसुलिन अग्न्याशय द्वारा बनाया गया एक हार्मोन है, जो खाए जाने वाले भोजन से ग्लूकोज को रक्त प्रवाह से शरीर की कोशिकाओं में ऊर्जा पैदा करने के लिए जाने देता है। हम सभी में ज्यादातर लोग टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के बारे में जानते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि लोगों के बीच टाइप 3 सी डायबिटीज भी धीरे-धीरे अपने पैर जमा रही है।
टाइप 3 सी डायबिटीज (Diabetes)पैंक्रियाज में गड़बड़ी की वजह से होती है। यह तब होती है जब आपके पैंक्रियाज को किसी तरह का नुकसान पहुंचा हो। जैसे सर्जरी हुई हो, पैंक्रियाज ट्यूमर हो या फिर उससे जुड़ी कोई बीमारी हो। टाइप 3 सी डायबिटीज टाइप 1 और टाइप 2 से ज्यादा खतरनाक है और सबसे ज्यादा खतरे वाली बात यह है कि डॉक्टर भी इस बीमारी का जल्दी पता नहीं कर पाते हैं। यह कई बार इंसान को धीरे-धीरे खोखला कर देती है। इसकी पहचान तभी की जा सकती है जब रोगी में लगातार लक्षण दिखाई देते रहें और वो नियमित रूप से डॉक्टर के साथ संपर्क में रहे। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, टाइप 3 सी डायबिटीज वास्तव में पहले की तुलना में अधिक आम हो गई है। डायबिटीज के सभी रोगियों में कम से कम 8% लोगों को टाइप 3 सी डायबिटीज होने का खतरा होता है।
टाइप 3 सी डायबिटीज (Diabetes) में इंसुलिन की मात्रा घट जाती है और आपके शरीर में पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं हो पाता है। इंसुलिन हमारे खून में मौजूद ग्लूकोज को हमारी कोशिकाओं में भेजने और हमारे शरीर को ऊर्जा देने का काम करता है। अगर आपको टाइप 3 सी डायबिटीज होती है तो आपका पैंक्रियाज खाने को पचाने के लिए जरूरी एंजाइम का उत्पादन भी नहीं कर पाता है।
डायबिटीज के 3 टाइप
डायबिटीज टाइप 3 सी
अगर आपने पैन्क्रियाज की सर्जरी कराई हो, आपके पैन्क्रियाज में ट्यूमर हो या आपके पैन्क्रियाज काम करना बंद कर दें तो आपको डायबिटीज 3 सी होने की संभावना अधिक हो जाती है। इसमें सिर्फ इंसुलिन की मात्रा ही कम नहीं होती बल्कि होर्मोंस के साथ खाने को डाइजेस्ट करने वाला प्रोटीन भी कम मात्रा में बनता हैं।
डायबिटीज टाइप 2
शरीर के ठीक तरह से इंसुलिन का प्रयोग नहीं कर पाने की वजह से डायबिटीज टाइप 2 होती है। लेकिन यह डायबिटीज ज्यादा उम्र के लोगों को होती है।
डायबिटीज टाइप 1
यह डायबिटीज पैन्क्रियाज की बीटा कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट होने के कारण होती है। इसमें इंसुलिन बनने की मात्रा या तो कम हो जाती है या पूरी तरह बंद हो जाती है। इस डायबिटीज का खतरा सबसे ज्यादा युवाओं में देखा गया हैं।
टाइप 3 सी डायबिटीज के लक्षण
टाइप 3 सी डायबिटीज काफी रेयर होती है इसलिए कई मामलों में इसके लक्षण भी साफ दिखाई नहीं देते है। ऐसी स्तिथि में समय पर इस बीमारी का पता लगाना और इलाज मुश्किल हो जाता है। हालांकि शरीर में होने वाले कुछ बदलावों के आधार पर इस बीमारी की पहचान की जा सकती है। जैसे कि अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं और आपका वजन अचानक बिना किसी वजह के तेजी से कम होने लगता है इसके अलावा टाइप 3 सी डायबिटीज के रोगी में पेट में दर्द, जरूरत से ज्यादा थकान, दस्त, गैस और हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर) जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। ये लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से चेकअप कराएं।
टाइप 3 सी डायबिटीज के कारण
टाइप 3 सी डायबिटीज के कई कारण हैं जिनमें ज्यादातर का संबंध पैंक्रियाज से जुड़ी बीमारियों से है। क्रॉनिक पैनक्रियाटिस से पीड़ित 80% मरीजों को टाइप 3 सी का खतरा होता है। इसके अलावा एक्यूट पैनक्रियाटिस, रिलैप्सिंग पैनक्रियाटिस, पैनक्रियाटिक कैंसर, सिस्टिक फाइब्रोसिस और हेमोक्रोमैटोसिस बीमारियों में भी रोगी टाइप 3 सी डायबिटीज से पीड़ित हो सकता है।
रिस्क फैक्टर, जो बनते हैं टाइप 3 सी डायबिटीज की वजह
टाइप 3 सी डायबिटीज होने की सबसे बड़ी वजह है पैनक्रिया में होने वाली बीमारी। इसके अलावा डायबिटीज से पीड़ित मरीजों, मोटापे से ग्रसित और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में भी ये हो सकती है। टाइप 3 सी डायबिटीज के उपचार में अक्सर इंसुलिन मैनेजमेंट जरूरी होता है तो वहीं, टाइप-2 डायबिटीज का ट्रीटमेंट इंसुलिन रेसिस्टेंस के लिए किया जाता है। आसान भाषा में कहें तो टाइप 2 डायबिटीज में आपका शरीर सही तरीके से इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं कर पाता है।
कैसे होता है इस बीमारी का इलाज
ये बीमारी पैंक्रियाज (अग्नाशय) को बुरी तरह नुकसान पहुंचाती है। इसका इलाज भी डायबिटीज के बाकी वैरिएंट से काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि ये पैंक्रियाज को होने वाले नुकसान के आधार पर करना होता है। टाइप 3 सी मधुमेह के रोगियों को अपने ब्लड शुगर को मेंटेन रखने के लिए टाइप 2 डायबिटीज की तुलना में शुरुआती चरण में ही इंसुलिन की जरूरत पड़ने लगती है। इसमें रोगियों को डाइट और जीवनशैली भी सख्त बदलाव की जरूरत पड़ती है।
टाइप 3 सी डायबिटीज से कैसे बचें?
टाइप 3 सी डायबिटीज से बचने के लिए रोजाना एक्टिव रहना बेहद जरुरी है। साथ ही रोजाना पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए। साथ ही ऐसी ड्रिंक के सेवन से बचना चाहिए जिनमें शुगर की मात्रा ज्यादा हो। स्मोकिंग और एल्कोहल से भी दूरी बनाए रखनी होगी। आप अपनी डाइट में फाइबर युक्त भोजन को शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा आप प्रोटीन और विटामिन डी रिच डाइट ले सकते हैं। अगर किसी शख्स को टाइप 2 डायबिटीज है और उसका इलाज समय पर ना हुआ हो तो टाइप 3 सी डायबिटीज होने का रिस्क ज्यादा होता है ऐसे में डॉक्टर से संपर्क जरुर करें।