मेरठ| मात्र तीन महीने में बिना कक्षा एवं 75 फीसदी हाजिरी के सीधे परीक्षा देकर यूजी-पीजी की डिग्री देने का खेल अब नहीं चलेगा। शैक्षिक गुणवत्ता से निरंतर हो रहे समझौते के बीच राजभवन ने विश्वविद्यालयों में प्राइवेट छात्र के रूप में जारी शैक्षिक व्यवस्था को प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए हैं।
जल्द ही प्राइवेट परीक्षा से डिग्री देने पर रोक की तैयारी है। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि के कुलपति की रिपोर्ट पर राजभवन ने सभी राज्य विश्वविद्यालयों को नियमानुसार कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
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प्रदेश के अधिकांश राज्य विवि प्राइवेट मोड में बीए, बीकॉम, एमए, एमकॉम में सीधे परीक्षा फॉर्म भरवाते हैं। इन छात्रों की ना तो कक्षा होती है और ना ही हाजिरी। छात्रों का नियमित असेसमेंट भी नहीं होता। परीक्षा फॉर्म भरकर छात्र सीधे परीक्षा देते हैं। नियमों में उच्च शिक्षा के केवल दो मोड अधिकृत हैं। पहला रेगुलर और दूसरा दूरस्थ या मुक्त। विश्वविद्यालयों में रेगुलर से ज्यादा प्राइवेट छात्र प्रवेश लेते हैं और मात्र तीन से चार महीने में सीधे पेपर देते हैं।
बीते महीने 18 नवंबर को राजर्षि टंडन मुक्त विवि के कुलपति ने कुलाधिपति के समक्ष उक्त मुद्दा रखते हुए कार्रवाई की अपील की थी। इसी क्रम में राजभवन ने राजर्षि मुक्त विवि की सिफारिश पर संस्तुति करते हुए सभी राज्य विवि को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। प्राइवेट मोड में फॉर्म भरकर सीधे परीक्षा कराने की व्यवस्थ केवल यूपी में है। अन्य राज्यों में ओपन यूनिवर्सिटी के अधिकृत केंद्र हैं। छात्र यहां निर्धारित दिनों में प्रवेश लेते हैं और नियमित असाइनमेंट जमा करते हैं। मुक्त या दूरस्थ शिक्षा का बाकायदा शैक्षिक कैलेंडर रहता है।