संयुक्त राष्ट्र, UN । भारत की तरफ से भेजी गई शांति रक्षक सेना में चाहे में पुरुष हों या महिलाएं सभी की भूमिका काफी अहम होती है। महिलाओं के लिये इसका हिस्सा बनना कोई सामान्य बात भी नहीं है। यही बात मालाकाल में तैनात शान्तिरक्षकों पर भी पूरी तरह से खरी उतरती हुई दिखाई देती है। यहां पर तैनात 800 से अधिक सैनिकों को उनकी सेवाओं के लिए पदक से सम्मानित किया गया है। इनमें भारत के वीर जवान भी शामिल हैं।
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इनमें से एक हैं भारतीय सेना की मेजर चेतना। सूडान में तैनात भारतीय सेना की इंजीनियरिंग विंग में वे एकमात्र महिला अधिकारी हैं। उनकी इस टुकड़ी में 21 शांति रक्षक हैं। उनकी टीम इस बात को सुनिश्चित करती है कि यहां पर तैनात सभी जवानों के पास बिजली की निबार्ध आपूर्ति हो सके। इसके अलावा जवानों की जरूरत का दूसरा सामान भी उनतक पहुंच सके।
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UN से सम्मान पाने के बाद मेजर चेतना ने कहा कि वो किसी भी काम में पुरुष सहयोगियों से अलग नहीं हैं। वो भी अपना काम उसी लगन से करती हैं जितनी लगन से कोई पुरुष करता है। वो खुद को उनके ही बराबर मानती हैं। इतना ही नहीं वहां मौजूद सभी पुरुष अधिकारी भी उनके साथ बराबरी का व्यवहार करते हैं। उन्होंने बताया कि उनका कोई भी पारिवारिक सदस्य फौज में नहीं था बावजूद इसके वो हमेशा से एक सैनिक ही बनना चाहती थीं। उनके परिवार ने इस काम में उनकी पूरी मदद की। यही वजह है कि आज वो अपना सपना सच कर पाई हैं।