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घालमेल की राजनीतिक संक्रांति का समझें संदेश

Jewar International Airport

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सियाराम पांडेय ‘शांत’

देश बर्बाद हो गया है। लोकतंत्र मर गया है। संविधान बचा नहीं है। उसकी आत्मा पर हमला हो रहा है। सरकार देश बेच रही है।। सब कुछ अपने मित्र उद्योगपतियों के हाथ में सौंपने  की तैयारी है। इतने सारे आरोप लगाते हुए विपक्षी दलों की जीभ नहीं चिपक रही है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के जेवर एयरपोर्ट को लेकर एक प्रादेशिक दल के राष्ट्रीय नेता ने कहा था कि प्रधानमंत्री जी जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास करने नहीं, उसे बेचने की जुगत तलाशने आए थे।

जो लोग वाकई देश के सार्वजनिक उपक्रमों को बेचते रहे हैं। यहां की चीनी मिलों सौदा करते रहे हैं, जिनका विकास स्वजनों तक ही सीमित था, वे समग्र विकास को पचाएँ किस तरह? अब तो 72 छेद वाली चलनी भी बोलने लगी है कि देश में सब कुछ बेचा जा रहा है। बड़े लोग कह रहे हैं तो जनता भी मान लेती है।

एक झूठ सौ बार बोला जाए तो उस पर सत्य होने की मुहर लग जाती है। यह और बात है कि जिस तरह गधी तमाम सौंदर्य प्रसाधनों से स्नात होने के बाद गाय नहीं बन सकती, वैसे ही झूठ  सच नहीं बन सकता। वैसे भी इस देश और प्रदेश के लोगों ने इतने घपले-घोटाले देखे हैं की आब कोई सच भी बोले तो यकीन करना मुश्किल हो जाता है। बाबा भारती ने खड्ग सिंह से यूं ही नहीं कहा था कि इस बात को किसी को भी न बताना। क्योंकि लोगों का गरीबों पर से विश्वास उठ जाएगा। राजनीति में सच और झूठ बेमानी होते हैं। जिस बात से काम बने, वही श्रेयस्कर है।

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पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव की सरकार में मनमोहन सिंह ने बतौर वित्तमंत्री देश के तीन बैंकिंग संस्थानों को निजी हाथों में चले जाने दिया था। वे तीनों संस्थान एचडीएफसी, आईआइसीआई, और एक्सिस बैंक का रूप ले चुके हैं। अपने प्रधानमंत्रित्व काल में मनमोहन सिंह ने 33 बार में 36 सरकारी कंपनियों को बेचा था। मतलब आपै खाई विलाई लाई, वाली प्रवृत्ति तो ठीक नहीं है। पब्लिक सब जानती है।

बातें बनाकर उसे गुमराह नहीं किया जा सकता। अपने हितैषी को पहचानने में भूल तो वह कर ही नहीं सकती। चुनाव नेताओं ही नहीं, जनता का भी संक्रांति काल है। इस संक्रांति को समझें और घालमेल वाली सतमेझरी बातों से बचें। यही मकर संक्रांति का संदेश भी है।

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