समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को अपने जारी एक बयान में कहा है कि बंदरबांट में उलझी भाजपा सरकार से जनता को कोई उम्मीद नहीं बची है।
कोरोना संक्रमण, जानलेवा ब्लैक फंगस के मंहगे इलाज में सरकार की लापरवाही, जीवन रक्षक दवाइयों के अकाल हैं। ठप्प विकास कार्यों के साथ हर मोर्चे पर विफल भाजपा सरकार में गरीब, किसानों, नौजवानों और समाज के शोषित वंचित तथा पिछड़े वर्गो के हितों पर कुठाराघात ही होता रहा है।
समय से प्रभावी कदम न उठाने, स्थितियों के सही आंकलन में विफलता और गलत प्रबंधन के चलते उत्तर प्रदेश भाजपा राज में आंकडे़ बताते है कि आबादी के हिसाब से टीकाकरण में यूपी पिछड़ा हुआ है। नीति आयोग के रिकॉर्ड में उत्तर प्रदेश को सबसे फिसड्डी राज्य का दर्जा मिला हुआ है। भुखमरी, गरीबी, भेदभाव और इंडस्ट्री तथा इंफ्रास्ट्रक्चर आदि सूचकांक रैंकिंग में राज्य बदहाल है।
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फाइनेंशियल एक्सप्रेस में दर्शाया गया है कि किस तरह कोरोना के नमूनों की जांच में हेरा-फेरी की गई। मसलन उप्र में 21 अप्रैल को 2,25,570 नमूनों की जांच की गई। अगर उनमें 20 फीसदी या 45 हजार 114 लोग कोविड संक्रमित थे तो उनमें करीब 22 हजार मामलों को सरकारी रिकॉर्ड से निकाल दिया गया और केवल 33 हजार 106 संक्रमण केस दर्ज किए गए। इस तरह उस दिन जांच संक्रमण दर 14.7 फीसदी ही रही। इसी तरह की धोखाधड़ी से संक्रमण के पुष्ट मामलों में उत्तर प्रदेश को चौथा स्थान मिल गया है।
सच तो यह है कि भाजपा राज में बेकारी-बेरोजगारी रिकार्ड तोड़ रही है। मंहगाई थमने का नाम नहीं ले रही है। पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस सबके दाम आसमान छू रहे हैं। न मनरेगा में काम है, न स्किल मैपिंग का कहीं अता-पता है। व्यापार, कारोबार, दुकानदारी सब ठप्प है। लघु-मध्यम उद्योग बर्बाद हो रहे हैं।
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वस्तुतः संघी-भाजपाई छद्म राष्ट्रवाद की खोखली नैतिकता की आड़ में जनता और देश-प्रदेश को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। उनका संकल्प पत्र झूठ का पुलिंदा साबित हुआ है। वादा खिलाफी का उनका रिकॉर्ड जनता के सामने है। जनता ही उनको वादा स्मरण करायेगी और वादा न निभाने का दंड भी देगी। राज्य की पीड़ित जनता के साथ 2022 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर न्याय हो सकेगा।