लखनऊ। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व चेयरमैन मनोज सिंह को हटाने और दो वरिष्ठ अधिकारियों को सस्पेंड करने के पीछे बफैलो (भैंसे) मीट (Meat) का लगातार बढ़ता उत्पादन भी है। उत्तर प्रदेश से बफैलो मीट (Buffalo Meat) निर्यात महज कुछ वर्षों में दोगुना हो गया। पिछले वर्ष 17 हजार करोड़ से ज्यादा का भैंसे के मीट का निर्यात किया गया। वहीं इस वर्ष छह महीने में ही 9 हजार करोड़ का निर्यात हो चुका है। माना जा रहा है कि इतनी तेज ग्रोथ ने शासन के कान खड़े कर दिए थे कि कहीं मानकों और नियमों को ताक पर रखकर तो मांस का कारोबार नहीं किया जा रहा।
उत्तर प्रदेश के स्लाटर हाउसों को एनओसी देने में जमकर धांधली की गई। अनुमति देने में खेल किए गए। निर्धारित संख्या से दस गुना तक ज्यादा पशुओं को काटे जाने की शिकायतों के बावजूद अधिकारी आंखें मूंदे रहे। ये भी एक वजह है कि पूरे भारत से होने वाले मीट निर्यात में यूपी की हिस्सेदारी 50.34 प्रतिशत हो गई। ये आंकड़े कृषि एवं प्रसंस्करण खाद्य उत्पाद निर्यात प्राधिकरण (एपीडा) के हैं। अकेले यूपी से दुनिया के लगभग 82 देशों में मांस का निर्यात होता है। उन्नाव स्थित एओवी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड और अलहक फूड प्राइवेट लिमिटेड के अतिरिक्त गाजियाबाद के अल नासिर स्लाटर हाउस को एनओसी देने में बरती गई अनियमितता के बाद अफसरों पर गाज गिरी।
यूपी से मांस (Meat) निर्यात की ग्रोथ सबसे तेज
यूपी से इस वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त तक 2.41 लाख किलो बफैलो मीट का निर्यात किया जा चुका है। इसकी कीमत करीब 6769 करोड़ रुपये है। वहीं पिछले वित्त वर्ष में 7.36 लाख किलो मांस का निर्यात किया गया था। इस मांस की कीमत करीब 17682 करोड़ रुपये है। यूपी आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से आगे निकल गया है।
साल-दर-साल भैंसे के मांस (Buffalo Meat) का निर्यात बढ़ा
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टॉप 7 मांस (Meat) निर्यातक जिलों में 5 यूपी के
मुंबई 39.94 प्रतिशत
नई दिल्ली 24.93 प्रतिशत
अलीगढ़ 06.28 प्रतिशत
गाजियाबाद 05.93 प्रतिशत
आगरा 04.68 प्रतिशत
मेरठ 03.16 प्रतिशत
उन्नाव 02.10 प्रतिशत
बकरे के गोश्त (Goat Meat) का निर्यात नाममात्र
यूपी से बकरे और भेड़ के गोश्त का निर्यात नाममात्र का है। इस वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के बीच महज 15 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ। वहीं पिछले वर्ष 38 करोड़ का निर्यात हुआ था। प्रोसेस्ड मीट की बात करें तो केवल 3.16 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया। दरअसल बकरे के मीट के निर्यात में स्लाटर हाउसों का रुझान कम है क्योंकि विदेशों में उसकी डिमांड कम होने के अलावा कमाई भी कम है।