नई दिल्ली। दुनिया भर में तीन बच्चों में से एक के खून में एक बहुत ज्यादा खतरनाक तत्व मौजूद है। यह एक नए स्टडी में पाया गया है। यह खुलासा यूनिसेफ ने किया है। बता दें कि यह संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी है, जो बच्चों के लिए काम करती है। UNICEF के अध्ययन के मुताबिक, खून में लेड काफी ज्यादा मात्रा में मौजूद हैं। इसकी वजह से बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
बच्चों के मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव
यूनिसेफ की स्टडी के मुताबिक, दुनिया भर में तकरीबन 80 करोड़ बच्चों के शरीर में लेड पांच माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर से या उससे ज्यादा मात्रा में मौजूद है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ और पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था प्योर अर्थ द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि खून के अंदर इतनी अधिक मात्रा में लेड मौजूद होने से बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पाता है।
दिल और फेफड़ जैसे कई अंग सही से नहीं करते हैं काम
अध्ययन के मुताबिक, इससे न केवल बच्चों का मानसिक विकास रुक जाता है, बल्कि उनका नर्वस सिस्टम भी कमजोर हो जाता है। दिल और फेफड़े जैसे कई अंग सही से काम करना बंद कर देते हैं। जिसके चलते हर साल करीब लाखों बच्चे बुरी तरह से बीमार पड़ जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने बच्चों में लेड का उच्च स्तर को बेहद गंभीर बताया है।
यूनीसेफ का बड़ा खुलासा, हर तीसरे बच्चे के खून में मौजूद है ये खतरनाक तत्व
ऐसे प्रवेश करता है शरीर में लेड
इन सभी संस्थाओं ने कहा कि बच्चों के शरीर में इतनी अधिक मात्रा में लेड होना काफी नुकसानदेह है। हमें इसे रोकने की कोशिश करनी होगी। साथ ही प्रदूषण का स्तर कम करना होगा। बच्चों की शरीर में वायु प्रदूषण, बैटरी रीसाइक्लिंग, ओपन-एयर स्मेलटर्स और लीड का प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के जरिए लेड सबसे ज्यादा प्रवेश करता है।
दुनिया को बच्चों को उन उद्योगों से तत्काल हटा देना चाहिए, जहां पर बहुत ज्यादा मात्रा में लेड निकलता है
गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया को बच्चों को उन उद्योगों से तत्काल हटा देना चाहिए, जहां पर बहुत ज्यादा मात्रा में लेड निकलता है। जैसे कि बैट्री, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक कचरे, पॉटरी आदि। बच्चों के शरीर में सबसे ज्यादा लेड बैट्री के जहरीले धुओं या केमिकल, जो कि लेड-एसिड के मिश्रण से बनाई जाती है, से प्रवेश करता है। बैट्री की वजह से 85 फीसदी बच्चे लेड की अधिकता की वजह से बीमार होते हैं।