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इस जिले में कुएं में स्थित है अनोखा शिवलिंग

Shivling

shivling

भदोही। उत्तर प्रदेश में भदोही जिले के सेमराध स्थित भगवान शिव का एक अनोखा मंदिर कुएं में स्थित है। किवदंतियों के अनुसार मंदिर में स्थापित शिवलिंग (Shivling) की उत्पत्ति विशालकाय प्रकाश पुंज से हुई थी।

जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर काशी-प्रयाग के मध्य सेमराधनाथ धाम जंगीगंज के पास परम पावनी मां गंगा के तट पर स्थित है। कहा जाता है कि एक व्यापारी जलमार्ग से गुजर रहा था कि अचानक उसकी नौका डावांडोल होकर नदी में फंस गयी जिसके बाद व्यापारी ने गंगा तट पर रात्रि विश्राम का मन बनाया। व्यापारी का सपने में आया कि यह भगवान शिव का स्थान है। यहीं जमीन के अंदर शिवलिंग स्थित है। व्यापारी ने सपने की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए जमीन की खुदाई शुरू करा दी जहां कुछ गहराई में जाने पर उसे चमकता हुआ एक शिवलिंग दिखाई पड़ा।

शिवलिंग (Shivling) का दर्शन कर व्यापारी भक्ति से ओतप्रोत होकर उसे अपने साथ ले जाना चाहा। बताते हैं कि वह शिवलिंग के जितना करीब जाता लिंग उतना ही दूर खिसक जाया करता था। थक हार कर उसने वहीं गंगा नदी के तट पर खुदाई से बने कुंए नुमा बने गड्ढे में एक भव्य मंदिर का निर्माण करा दिया, जो बाद में बाबा सेमराधनाथ धाम के नाम से विख्यात हुआ।

शिवभक्त पंडित आलोक शास्त्री बताते हैं कि पौराणिक कथाओं पर गौर करें दो द्वापर युग में पुंडरीक नाम का एक राक्षस हुआ करता था, जो अपने को कृष्ण मानता था। उसकी इच्छा थी कि जनता उसे कृष्ण मानकर उसकी पूजा करे। इसकी जानकारी होने पर पहले तो भगवान कृष्ण ने उसे खूब समझाया। कृष्ण की बात मानने के बजाय वह उन्हें युद्ध के लिए ललकारने नहीं लगा। फिर क्या था पुंडरीक व भगवान कृष्ण के बीच भीषण युद्ध हुआ और राक्षस मारा गया। बताते हैं कि भगवान के सुदर्शनचक्र से निकले तेज से काशी धू-धू कर जलने लगी। महाप्रलय को देख शिव जी ने भगवान कृष्ण की स्तुति कर काशी को बचाने की प्रार्थना की।

कृष्ण की सलाह पर शिवजी ने त्रिशूल चलाया जो सुदर्शनचक्र से जाकर टकराया। दोनों महाअस्त्रों की टकराहट से एक अलौकिक प्रकाश पूंज उत्पन्न हुआ जो गंगा तट पर सेमराध में धरती में प्रविष्ट कर गया। मान्यता है कि वही अलौकिक प्रकाश पुंज आज शिवलिंग के रूप में मौजूद है।

फिलहाल धाम में पूरे साल भर शिव भक्तों का तांता लगा रहता है। विशेषकर सावन के महीने में तो हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचकर जलाभिषेक कर पूजा पाठ करते हैं। मान्यता है कि अलौकिक शिवलिंग के दर्शन करने से भक्तों की मनचाही कामनाओं की पूर्ति होती है।

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