नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र ने बीते सोमवार को आगाह किया कि कोरोना वायरस और उससे निपटने के लिए लगे प्रतिबंधों के कारण कई समुदाय भुखमरी का सामना कर रहे हैं। एक महीने में 10,000 से अधिक बच्चों की जान जा रही है। छोटे किसानों का बाजारों से दूर हो जाना, गांवों में खाद्य पदार्थों तथा चिकित्सीय उपकरणों की कमी इसका प्रमुख कारण है।
संयुक्त राष्ट्र की चार एजेंसियों ने चेताया कि बढ़ते कुपोषण के दीर्घकालिक परिणाम होंगे, जो व्यक्तिगत त्रासदियों को एक पीढ़ीगत तबाही में बदल सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन में पोषाहार के प्रमुख डॉ. फ्रांसेस्को ब्रांका ने कहा कि कोविड-19 संकट के दौरान प्रभावित हुई खाद्य सुरक्षा का असर अब से कई वर्ष तक दिखने वाला है। लैटिन अमेरिका से लेकर दक्षिण एशिया तक उप-सहारा अफ्रीका में, पहले से कहीं अधिक गरीब परिवार को भविष्य में पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाएगा।
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विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख डेविड बीसले ने अप्रैल में आगाह किया था कि कोरोना वायरस अर्थव्यवस्था इस साल वैश्विक आकाल का कारण बनेगी। खाद्य सुरक्षा को विभिन्न चरणों में आंका जाता है। अन्य कारणों के साथ ही 30 प्रतिशत आबादी के ‘वेस्टिंग से पीड़ित होने पर आकाल घोषित किया जाता है। ‘वेस्टिंग में एक व्यक्ति या शरीर का एक हिस्सा कमजोर और अधिक क्षीण हो जाता है।
उप-सहारा अफ्रीका अब भी भूखमरी से सबसे अधिक प्रभावित है। वहीं सूडान में 96 लाख लोगों को अब भी दिन में एक समय ही भोजन मिल पाता है। सूडान सहित विश्वभर में लॉकडाउन से लाखों लोगों की आय का जरिया बंद हो गया है। मुद्रास्फीति की दर 136 फीसदी होने के साथ, बुनियादी वस्तुओं की कीमतें तीन गुना से अधिक हो गई हैं।