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देश की एकता और अखंडता हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी : पीएम मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने गुरुवार को सिविल सेवा दिवस पर लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए 16 अधिकारियों को प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित करते हुए कहा कि पुरस्कृत अधिकारियों को वर्चुअल माध्यम से सिविल सेवा प्रशिक्षुओं को अपने अच्छे कार्यों के बारे में बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह न केवल दूसरों को प्रेरित करेगा, बल्कि उन्हें एक व्यावहारिक अनुभव भी प्रदान करेगा।

प्रधानमंत्री ने तेज गति से बदलती दुनिया में समय के अनुसार चलने की सलाह दी और तीन लक्ष्य गिनाए।  उन्होंने कहा, ‘हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में है और हमारे सामने तीन लक्ष्य हैं। पहला देश में सामान्य से सामान्य मानवी के जीवन में बदलाव आए, उसके जीवन में सुगमता आए और उसे इसका एहसास भी हो। दूसरा आज हम कुछ भी करें, उसको वैश्विक सन्दर्भ में करना समय की मांग है ओर तीसरा व्यवस्था में हम कहीं पर भी हों, लेकिन जिस व्यवस्था से हम निकले हैं, उसमें हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है देश की एकता और अखंडता।’

प्रधानमंत्री ने लोक सेवकों से आग्रह किया कि यदि संभव हो तो वे आजादी के इस अमृत काल में अपने जिला के पूर्व कलेक्टरों से मिलें। इसी तरह राज्यों में जो चीफ सेक्रेटरी, कैबिनेट सेक्रेटरी  रहे हैं उन सबको बुला लें। इन्हें याद करना और सम्मानित करना भी आजादी के अमृत काल में सिविल सर्विस को सम्मानित करने वाला विषय बन जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आजादी के अमृत काल, 75 साल की इस यात्रा में भारत को आगे बढ़ाने में सरदार पटेल का सिविल सर्विस का जो तोहफा है। इसके जो ध्वजवाहक रहे हैं, उन्होंने इस देश की प्रगति में कुछ न कुछ योगदान दिया ही है।’

प्रधानमंत्री मोदी विज्ञान भवन में लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए 16 अधिकारियों को प्रधानमंत्री पुरस्कार प्रदान करने के बाद संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर प्राथमिकता कार्यक्रमों और नवाचारों पर ई-किताब का भी विमोचन किया।

प्रधानमंत्री ने पुरस्कार विजेताओं से कहा कि वे विदेश मंत्रालय और पुलिस विभाग सहित देशभर में स्थित सिविल सेवा से जुड़े तमाम प्रशिक्षण संस्थानों में ट्रेनिंग ले रहे प्रशिक्षुओं को हर सप्ताह एक से डेढ़ घंटे का समय निकालकर वर्चुअल माध्यम से अपने अनुभव साझा करें।

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उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक सप्ताह ऐसे दो पुरस्कृत अधिकारियों से चर्चा होगी तो आने वाली नई पीढ़ी के अधिकारियों को उनके अनुभवों से काफी मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा करना अधिकारियों के लिए भी लाभप्रद होगा और वे इससे जुड़े रहेंगे।

भारत हर साल 21 अप्रैल को ‘नेशनल सिविल सर्विसेज डे’ के तौर पर मनाता है। लोक सेवकों की अथक मेहनत को पहचान दिलाने के क्रम में यह दिन मनाया जाता है। इस दिन हर साल उत्कृष्ट योगदान देने वाले सिविल सर्वेंट को सम्मानित किया जाता है।

सामूहिक रूप से देश के प्रशासनिक कार्यों को सुचारू तरीके से चलाने वाले ये सिविल सर्वेंट देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सिविल सेवा में विधायिका, न्यायपालिका और सैन्य कर्मी शामिल नहीं हैं। सिविल सेवा के क्षेत्र में अधिकारी किसी भी राजनीतिक दल के प्रति वचनबद्ध नहीं होते हैं।

इसलिए चुना गया है ये दिन

इस दिन को सिविल सर्विसेज डे के तौर पर इसलिए चुना गया क्योंकि आजादी के बाद भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने साल 1947 के 21 अप्रैल को ही दिल्ली के मेटकाफ हाउस (Metcalf House) में प्रशासनिक सेवा अधिकारियों के परिवीक्षाधीनों को संबोधित किया था। पहला नेशनल सिविल सर्विस डे साल 2006 में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मनाया गया था। भारत सरकार ने प्रशासनिक सेवा में जुटे अधिकारियों के कामों का आकलन किया था और उन्हें सम्मानित किया था।

फादर आफ इंडियन सिविल सर्विस

चार्ल्स कोर्नवालिस (Charles Cornwallis) को ‘सिविल सर्विसेज का जनक’ कहा जाता है। कोर्नवालिस ने भारत में सिविल सर्विसेज के आधुनिकीकरण और सुधार में अहम योगदान दिया था।

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