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विश्वविद्यालय शोध व डिग्री बांटने का ही कार्य न करें, कौशल विकास पर भी ध्यान दें : आनंदीबेन

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि विश्वविद्यालय शोध, शिक्षा एवं नवाचार के साथ सामाजिक कार्यों से भी जुड़े ।

श्रीमती पटेल ने डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ के 18वें दीक्षान्त समारोह में ये विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के लिए तो विशिष्ट अवसर होता ही है, परन्तु उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए भी यह महत्वपूर्ण क्षण है। विश्वविद्यालय छात्र-छात्राओं को इस कामना के साथ उपाधि प्रदान करता है कि उसके द्वारा तैयार किया गया ‘मानव-संसाधन’ अब राष्ट्र की प्रगति में सकारात्मक योगदान प्रदान करेगा। निश्चित रूप से यह सभी के लिये गौरव प्रदान करने वाला समय होता है। उन्होंने इस अवसर पर 90 पीएच डी उपाधियां तथा वर्ष 2020 के सभी रैंक धारकों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक प्रदान किये।

इस अवसर पर राज्यपाल ने पूर्व प्राविधिक शिक्षा मंत्री स्वर्गीय कमला रानी वरूण की स्मृति में शुरू किये गये पुरस्कार को अनुसूचित वर्ग में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्रा ऋतु वर्मा को दिया, जबकि सभी पाठ्यक्रमों में वर्ष 2020 में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्रा सृष्टि सिंह को स्वर्ण पदक प्रदान किया। उन्होंने वरिष्ठ पर्यावरण विद् एवं समाजसेवी पद्म भूषण डाॅ0 अनिल कुमार जोशी को पर्यावरण एवं समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिये डाक्टर आफ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित किया।

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श्रीमती पटेल ने अपने सम्बोधन में कहा कि जब हम तकनीक के क्षेत्र में कुछ बेहतर और नया करेंगे तभी हम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ेंगे। विश्व के तेजी से बदलते दौर में आत्मनिर्भरता का महत्व बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी के क्षेत्र में रचनात्मक कार्य की बहुत सम्भावनाएं हैं। इस दृष्टि से हमारे तकनीकी विश्वविद्यालय केवल शोध और डिग्री बांटने का ही कार्य न करें, बल्कि कौशल विकास पर भी ध्यान दें।

उन्होंने कहा कि कौशल विकास का मतलब है कि युवाओं को हुनरमंद बनाने के साथ उन्हें बाजार के अनुरूप तैयार करना। इसके साथ ही पूरे भारत में महिलाओं को आगे लाने, सशक्त करने तथा आत्मनिर्भर बनाने का कार्य भी शिक्षण संस्थाओं का है। इन प्रयासों को कारगर करने में स्वयं सहायता समूहों का विशेष महत्व है, जिनके माध्यम से महिलाएं आगे बढ़ रही हैं तथा आत्मनिर्भर बन रही हैं। शिक्षण संस्थाओं का दायित्व बनता है कि उनके लिये विशेष प्रकार के पाठ्यक्रम तैयार किये जाने चाहिये, जो ग्रामीण गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने मे सक्रिय सहयोग कर सकें और ये कार्य हमारे छात्र जिन्होंने आज डिग्री प्राप्त की है, वह ग्रामीण गरीब महिलाओं, कुपोषित बच्चों को मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य आसानी से कर सकते हैं। अतः आप सभी गांव के समग्र विकास का हिस्सा बनें और अपना योगदान दें।

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