विधानसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश के दौरे के बाद चुनाव आयोग ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। आयोग ने कहा कि उत्तर प्रदेश के राजनीतिक दल चाहते हैं कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव कोविड प्रोटोकॉल के साथ तय समय पर हों।
चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि हमने प्रशासन, पुलिस और राजनीतिक दलों के साथ बातचीत की है, उन्हें हमने कोविड प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी दी। कई राजनीतिक दलों ने रैलियों पर चिंता जाहिर की। कई ने हमसे कहा कि इनकी संख्या सीमित की जाए। यह भी साफ हुआ कि चुनाव की तारीखों का ऐलान 5 जनवरी के बाद होगा।
बता दें कि अगले साल की शुरुआत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर शामिल है। लखनऊ में हुई चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुशील चंद्रा ने उन सुझावों के बारे में भी बताया गया जो राजनीतिक दलों की तरफ से उनको मिले हैं। उन्होंने बताया कि फाइनल वोटर लिस्ट 5 जनवरी को जारी होगी।
राजनीतिक पार्टियों की तरफ से मिले सुझाव
– कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए समय से चुनाव हों, सभी दलों की तरफ से मांग हुई
– रैलियों की संख्या और रैलियों में संख्या सीमित हो
– दिव्यांग और 80 साल से ज्यादा बुजुर्ग मतदाताओं को घर से ही मतदान करने की सुविधा मिले
– इनकी अलग पहचान वाली सूची भी जारी करने की मांग
चुनाव आयोग ने बताया कि कोरोना संकट को ध्यान में रखते हुए यूपी में पोलिंग बूथ की संख्या को 11 हजार तक बढ़ाया जाएगा। एक बूथ पर पहले 1500 वोट होते थे, जिन्हें घटाकर 1200 किया गया है।
लखनऊ में अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने बताया कि 18 से 19 साल के नए मतदाताओं की तादाद पिछले चुनाव से तीन गुना ज्यादा है। इसमें हजार पुरुष मतदाताओं में 839 महिलाओं का अनुपात अब 868 हो गया है। मतलब पांच लाख महिला मतदाता बढ़ी हैं।
देश में तीसरी लहर की आहट, 24 घंटे में मिले 13 हजार से अधिक नए केस
कहा कि चुनाव आयोग का मकसद स्वतंत्र, निष्पक्ष, सुरक्षित, प्रलोभन मुक्त कालाधन मुक्त चुनाव कराना है। वह बोले कि पांच जनवरी तक फाइनल मतदाता सूची जारी होगी लेकिन नामांकन के आखिरी दिन तक भी अतिरिक्त सूची बन सकेगी।